दिलों को जोड़ती "राजभाषा"
दिलों को जोड़ती "राजभाषा"


"कुछ आधे अक्षर शब्दों के अर्थ को सुंदर बनाते हैं
मन में छुपे एहसास और हमारी पहचान बताते हैं,
जैसे प्रेम का केवल नाम जीवन को सुंदर बनाता है
वैसे ही हिंदी भाषी होना मुझे फक्र महसूस करवाता है,
अपनी कलम की स्याही से सम्मान देने की अभिलाषी हूं
और पूरे गर्व से कहना चाहती हूं कि मैं हिंदी भाषी हूं।।"
भाषा वो आईना जो किसी व्यक्ति विशेष के स्वभाव और चरित्र के प्रतिबिंब स्वरुप होता है। वैसे तो भाषाएं भिन्न भिन्न प्रकार की होती हैं लेकिन सभी भाषाओं में से सर्वाधिक लोकप्रिय कही जाने वाली भाषा है हमारी "राजभाषा" "हिंदी"। वो भावनात्मक रूप जिसमें कुछ शब्द ही काफी है समझने अथवा समझाने के लिए।
14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।14 सितंबर 1949 के दिन संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया की हिन्दी भारत की राजभाषा होगी।हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में भारत की कार्यकारी और राजभाषा का दर्जा आधिकारिक रूप में दिया गया। भारतीय संविधान की धारा 343 में हिन्दी को संघ की राजभाषा और लिपि देवनागरी लिपि का दर्जा प्राप्त है।हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। और 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया।
लेकिन आज इस बदलते वक्त में हमारी राष्ट्रभाषा का महत्व कुछ कम होता प्रतीत हो रहा है। प्रगती हेतु अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य हो गया है। सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं अपितु अभिभावकों को भी अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य हो चुका है। अगर संक्षिप्त शब्दों में कहा जाए तो अधिकांश विद्यालयों में माता-पिता में अंग्रेजी भाषा
का ज्ञान ही तय करता है कि वह विद्यार्थी उस शाला में अध्ययन करने योग्य है या नहीं।
लेकिन ये भी सत्य है कि हिंदी दिवस आज भी मनाया जाता है। जिसके अंतर्गत भिन्न भिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। और हिंदी के महत्व को वर्णित किया जाता है। और इससे यह सिद्ध होता है कि हमारी राजभाषा का महत्व और सम्मान जन जन के मन में एक अलग स्थान लिए है लेकिन सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि हर दिन हिंदी भाषा को एक समान सम्मान दिया जाना चाहिए।
मेरी भाषा मेरी पहचान है,
मेरा गौरव और स्वाभिमान है,
बस प्यार बांटने की अभिलाषी हूं,
गर्व है कि, मैं "हिन्दी भाषी" हूं!