वो यादगार लम्हा (पहली कमाई)
वो यादगार लम्हा (पहली कमाई)


वैसे तो हमारी जिंदगी कई अच्छी बुरी यादों को साथ लेकर चलती है कुछ बातें और कुछ पल ऐसे होते हैं जो आख़िरी सांस तक हमारे दिलो-दिमाग में भ्रमण करते रहते हैं। यादें कुछ बहुत अच्छी तो कुछ बुरी भी होती हैं। लेकिन अच्छी याद का असर हमेशा सकारात्मक होता है। मेरी ऐसी कुछ अच्छी यादों में से एक है मेरी पहली कमाई।
उन दिनों कालेज की पढ़ाई चल रही थी और साथ साथ कम्प्युटर क्लास भी। कालेज का दुसरा साल पूरा हो गया था। छुट्टियों के दौरान एक जगह से जॉब ऑफर आया। चुंकि मैं टेलीअकाउंट्स का कोर्स कर रही थी इसलिए ऑफर भी इसी से संबंधित था। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। क्लास से आकर सबसे पहले ये बात मैंने अपने माता-पिता को बताई। सभी खुश थे। इस बात से कोई मतलब नहीं था कि तनख्वाह कितनी है। इस बात की खुशी जरूर थी कि मैं एक नई चुनौती की तरफ अग्रसर हो रही थी।
trong> धीरे-धीरे वक्त बितता गया और एक महीना पूरा हो गया। और वो दिन आया जब मैंने अपनी मेहनत की पहली कमाई को अपने हाथों में पाया। एक अलग तरह की खुशी महसूस हो रही थी। अपनी पहली कमाई को घर लाकर अपने माता-पिता के हाथ में देना...... और उनकी आंखों से वो खुशी के आंसू झलकना। वो पल आज भी मेरी आंखों में बसा हुआ है। बहुत सुखद अनुभूति थी वो। नौकरी के दौरान बहुत कुछ सिखने को मिला लेकिन एक सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैने सिखी वो थी मेहनत की कमाई की कीमत। माता-पिता जी जान लगा देते हैं अपने बच्चों को सफल बनाने में। लेकिन सभी बच्चे इस बात को समझ नहीं पाते। अपने माता-पिता की उस मेहनत की कमाई का मोल ही नहीं समझ पाते जिनके लिए वो रात दिन एक कर चुके होते हैं। उस वक्त मैंने मेहनत की कमाई कि सच्ची परिभाषा को समझा था।