एहसान
एहसान
रमेश का मित्र अजय, रमेश की शादी के बाद पहली बार रमेश के घर आया था। रात के भोजन के बाद रमेश की पत्नी कान्ता दोनों के लिये चाय लेकर आयी।
अजय ने चुहल करते हुए कहा, "भाभी आप कुछ ज्यादा ही सीधी हो। चुपचाप हर हुक्म बजा देती हो भाइ का। थोडा डण्डा टाइट करो।"
कान्ता ने एक हलकी मुसकान के साथ मौन हुंकारी भरी ओर चली गयी।
अजय ने रमेश से कहा- "यार बहुत लक्कि हो। जरा भी नखरा नहीं करती भाभी। कमाल का मैनेजमेंट है तुम्हारा।"
रमेश ने हलके से मुसकान छोड़ी और बोला- "वो हमारे एहसान का बदला उतार रही है।"
अजय थोडा सा अचकचा गया। कान्ता देखने में अच्छी खासी थी फिर इस शादी में एहसान कैसा।
रमेश ने अजय को सोच से जगाते हुवे कहना शुरु किया- "कभी तुमसे बताया था....हमें एक लडकी से बहुत प्यार था, वो ये ही थी।
अजय रमेश को देख रहा था। रमेश ने आगे बताना शुरू किया। "प्यार था लेकिन कभी बोल नहीं पाये। फिर पता चला इसका रिश्ता हो गया। हम एकदम टूट गये। फिर पता लगाया तो पता चला लडका अच्छा है। घर भी अच्छा है।"
थोडा रुककर रमेश ने आगे बोलना शुरू किया "कान्ता अच्छे घर में जा रही है ये सोचकर दिल को तसल्ली हुई। वैसे भी हमने कभी कान्ता को अपनी भावनाएँ बताई नहीं थी, उसकी शादी हो गयी। हमारे लिये प्यार का मतलब ये ही है वो खुश रहे। अच्छे घर में जाकर खुश ही तो रहती"
रमेश चुप हो गया। अजय ने थोड़ा हिचकते हुए कहा "फिर क्या हुआ ? मतलब.... अब ये तुम्हारे साथ हैं।"
रमेश ने कहा " क्या कहें ? इसका दुर्भाग्य शायद ! शादी के तीन महीने बाद इसके पति की मौत हो गयी। ये वापस अपने मायके आ गयी। फिर इसे जब भी देखते तो देखा नहीं जाता था इसका ये हाल। हमने अपने घर पर बोल दिया, हमें कान्ता से शादी करनी है। घर में तो खूब बवाल कटा। पिताजी तो ऐसे हो गये जैसे हमने किसी की हत्या का अपराध कर दिया हो।"
चाय खत्म हो गयी थी। लेकिन कहानी अधूरी थी। अजय ने खाली कप को अभी भी हाथ में पकडा हुआ था।
रमेश ने कप को मेज पर रखते हुए आगे कहा- "घरवालों को जैसे तैसे मना लिया, कान्ता के घरवालों को तो कोई दिक्कत थी ही नहीं, शादी हो गयी। कान्ता को हमने अपने प्यार का इजहार कर दिया लेकिन......."
रमेश चुप हो गया। अजय ने कहा "लेकिन क्या भाभी खुश नहीं है।"
रमेश बोला "खुश तो है लेकिन पहले हमारे प्यार को हम उजागर नहीं कर पाये। अब हमारा प्यार उन्हें अहसान लगता है। वो दबी हुयी है हमारे एहसान के बोझ तले। हम इन्तजार कर रहें हैं कभी तो हमारे प्यार का वजन इस एहसान के वजन से ज्यादा होगा।"
अजय समझने की कोशिश कर रहा था या समझ चुका था.....प्यार का मतलब।
