:::- दुपट्टा - :::

:::- दुपट्टा - :::

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क्या हुआ बेटू इतना गुस्से में क्यों हो ? माँ सिर्फ़ औरते ही नही, कुछ पुरूष भी बहुत पंचायती स्वाभाव के होते हैं।

हुआ क्या,पहले बात तो बता। 


   आज ऑफ़िस से लौटते समय बस में दो अंकल आपस में बातें कर रहे थे कि-"बिना दुपट्टा लिए लड़कियां मुझे बिल्कुल पसंद नही आती हैं। 

   जब मैंने उनसे कहा कि-"अंकल आप लोग अपनी आँखें सही जगह पर रखिए तो सब सही लगेगा।"

  इतना सुनते ही तीसरे अंकल बीच में कूदने लगे कि आप हमें आँख सही रखने की बात करती हैं,और जो स्त्रियाँ अर्धनग्न रूप में सामने आएं तो भी हम पुरूषों की हीआँखें गलत है ? 


    "नही अंकल, आप वहाँ बिल्कुल भी गलत नही हैं,लेकिन आपको भी यह पता है कि शरीफ घरों की औरतें ऐसे नही रहती हैं,फिर यहाँ यह बेतुका प्रश्न ही क्यों ?, 


  आप बताइए कि शराफत का चोला ओढ़ने वाले पुरुष ऐसी औरतों को क्यों झांक-झांक कर देखते हैं ?" 

आप लोग भी ऐसी औरतों को देखकर कभी थूकते हैं ?, उनको देखकर कभी अपनी आँखें बंद करते हैं ?,


नही न ?, 

" क्योंकि आप पुरूषों का ही कहना होता है कि औरतें तो देखने की चीज होती हैं।" 


      हम औरतों के पास अपने सिवाय तमाम काम होते हैं,लेकिन आप पुरूषों के पास बात करने के लिए सिर्फ़ तीन विषय ही होते हैं। 

"राजनीति,पैसा और औरत।" 

 

 जबकि आपको भी यह बहुत अच्छे से पता है,कि घूंघट में रहने वाली औरत का भी अगर पल्लू सरक जाए तो उसे पुरूष झांकने से नही चूकते हैं। 


       कोई लड़की दुपट्टा नही ओढ़ी तो बुरा लगता है,लेकिन किसी लड़की के दुप्पटे को कोई लड़का खींच रहा हो,या किसी लड़की को छेड़ रहा हो तो आप लोग अपनी आँखें जरूर बंद कर लेते हैं। इसलिए ही आजकल हम लड़कियाँ असुरक्षित हैं,अब अपनी सुरक्षा हमें खुद ही करनी है,तो हमें क्या पहनना है,उसे भी हमें ही तय करने दें। 

     वैसे अंकल,आजकल हम उम्र लड़को को तो कोई समस्या नही है, उन्हें अब आदत हो गयी है,क्योंकि अब हम लड़कियाँ उनके बराबरी में काम जो करने लगे हैं। लेकिन आप लोग अभी भी वही दुप्पटे पर ही अटके हैं।

      "हम औरतों को भी इंसान के रूप में देखने और समझने की आदत डालनी चाहिए,सोच बदलते ही सब सही दिखने लगेगा। 

नही तो आपको भी पता है कि सदियों से घूँघट में भी सारे खेल होता ही रहा है। " 



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