लक्ष्मण रेखा

लक्ष्मण रेखा

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 "माँ, यह लक्ष्मण रेखा क्या होती है?"

"बेटा यह वह रेखा है, जिसको पार करते ही तमाम तरह की विकट परेशानियाँ हमे घेर लेती हैं।"

"वह कैसे माँ..?"

बेटा, खुद को संयमित, अनुशासित रखना ही लक्ष्मण रेखा है।

इधर मेरे साथ बगीचे में आ, मैं तुमको यह बात बहुत अच्छे से समझाती हूँ।


"देखो इस फूल को, इसे काँटों के बीच में रहकर भी ज़रा सी तकलीफ़ नहीं होती है, क्योंकि यही इसके सुरक्षा कर्मी हैं। जब भी कोई इन्हें हाथ लगाता है, तो यह चुभ जाते हैं और यह सुंदरता से भरे पुष्प टूटने से सुरक्षित बच जाते हैं।" 

"और वह बाहर उस पुष्प को देखो, जो आज़ाद है, उसके आस-पास काँटे तो नहीं है। लेकिन वह सुरक्षित भी नहीं है।"

अब इन काँटों के बीच घिरे उस सुंदर पुष्प से पूछो, तो वह भी यही जवाब देगा कि इन काँटों की वजह से ही मैं यहाँ सुरक्षित हूँ।"


"तभी आँधी भरी पुरवाई चली और देखते ही देखते वह दूसरा आज़ाद पुष्प हवा के झोंके साथ पूरी तरह बिखर गया।



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