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Sangeeta Agarwal

Fantasy

3  

Sangeeta Agarwal

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दुल्हन एक रात की

दुल्हन एक रात की

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रमाकांत अपने मोहल्ले का ओनली एंड मोस्ट एलिजिबल बैचलर था शायद। सारे लोग उसी का जिक्र करते जब भी किसी लड़की या लड़के का विवाह होता वहां। कोई बीस साल से वो लोग वहां रह रहे थे, घर में मात्र तीन प्राणी, रमाकांत, उसके बूढ़े मां बाप, एक बहिन थी वो कब की शादी करके अपने घर परिवार में मस्त थी।

जब रमाकांत जवान था, बड़ा बांका जवान खूबसूरत था, वकालत में ऐसा नाम था उसका कि आजतक शायद ही कोई केस हारा हो, दिमाग सांतवे आसमान पर था और पैर जमीन से काफी ऊपर।

एक से एक सुंदर, सुयोग्य लड़कियां देखने जाते वो लोग, लेकिन जनाब के आंख तले कोई न आती। उसकी मां पिता थक चुके थे उसके रोज रोज लड़कियों को रिजेक्ट करते देख। बहाने ऐसे बचकाने होते कि सिर पकड़ के रोने को दिल चाहे।

अभी पिछली बार, एक लड़की, सब तरह पसन्द आ गई थी, पढ़ी लिखी, सुन्दर, घरेलू काम भी जानती , उसके मां बाप अच्छा दान दहेज देने को भी तैय्यार थे पर घर आकर रमाकांत ने कहा: अम्मा, गंवार सी थी लड़की…

अरे अब क्या मक्खी छींक गई ….अम्मा ने आश्चर्य से पूछा

देखा आपने, जो साड़ी पहने थी , उसमें ब्लाउज वाला अटैच्ड कपड़ा तक चमक रहा था, पीछे।

ओह..., ये भी कोई रिजेक्शन का कारण हुआ। अम्मा दुखी हो बोलीं, एक बार तूने इस लिए मना कर दिया था कि उस लड़की ने चम्मच से तेरे हाथ पर नमकीन रख दी थी।

कितना बिगड़ा था तू उस बार, लेकिन बेटा, अगर इसी तरह मना करता रहा तो हो ली तेरी शादी, लगता है बिना बहु और पोते का मुंह देखे ही ऊपर चली जाऊंगी। मां ने आखिरी पांसा फेंका।

लेकिन रमाकांत को न कुछ समझ आना था न आया।

कहते हैं न समय से पहले और तकदीर से ज्यादा किसी को कभी कुछ नहीं मिला। ये बात रमाकांत के केस में सही सिद्ध हो रही थी। उसकी शादी की उम्र निकली जा रही थी। बालों में चांदी चमकने लगी थी, भले ही रंग के काले बाल रखने की पूरी कोशिश रहती पर जब तक चांदी की लटें उसकी बढ़ती उम्र की चुगली कर ही जाती थीं।

फिर जवानी वाला गठीला बदन भी ढीला पड़ने लगा था, चेहरे पर जो ताजगी का अहसास पहले था अब दिनोदिन धूमिल होने लगा था। कुछ तो बढ़ती उम्र का तकाज़ा और कुछ लड़की न मिल पाने का नैराश्य, दोनों उसे जल्दी ही बुढ़ापे की ओर खींच रहे थे।

जो रमाकांत अपनी जवानी में करीब बीसियों पैरामीटर बनाये हुए था कि लड़की ऐसी हो, वैसी हो, अब एक एक घटते घटते सिर्फ एक पैरामीटर बचा था कि बस लड़की हो, ये ही जरूरी था और भाग्य के खेल देखिए वो अकेला भी अब पूरा नहीं हो रहा था।

ऐसा नहीं है कि उसके प्रयासों में कोई कमी आई थी, जिसने जहां पीर मजार पर भेजा, वो मन्नत के धागे बांध आया था, सब दान पुण्य भी किये, शिव जी की नियमित पूजा करता, हवन अनुष्ठान भी कराता पर वक्त को उसपर दया न आई।

शहर के हर मैरिज ब्यूरो में उसने अपना प्रोफाइल भेज रखा था लेकिन अब लड़कियां उसे उतनी ही बेदर्दी से रिजेक्ट करतीं जैसे कभी वो किया करता था। बेचारे की स्थिति इतनी पतली थी कि लड़की देखते ही मन में शहनाई की गूंज बजने लगती, बाद में पता चलता कि वो तो शादीशुदा है या इंगगेज्ड तो है ही।

कितनी बार दिल टूटा था बेचारे का पर प्रयास लगातार जारी थे।

उस दिन उसकी खुशी का पारावार न रहा जब "मेरे हमसफ़र डॉट कॉम "से फ़ोन पर सूचना मिली किसी पलक नाम की लड़की का उसके लिए इंटरेस्ट आया है, उन्होंने अगले संडे को उनकी मीटिंग फिक्स कर दी थी।

रमाकांत, उन दिनों, पूरे 26-27 वर्ष के नौजवान की तरह चुस्त, दुरुस्त रहता और बना सँवरा घूमता, एक एक दिन, युगों सा भारी लग रहा था, पहले पहल तो माँ बाप ने मना कर दिया था जाने को संग में, फिर बहुत चिरौरी की उसने तो तैयार हुए। सोचा, कहीं इसी बात से बनती बात न बिगड़ जाय कि लड़के के मां बाप नहीं आये।

लड़की बहुत सुन्दर , शर्मीली थी, रमाकांत तो देखते ही उसके आशिक बन गए, खुशी की वजह से मुंह से एक बोल भी नहीं फूट रहा था, बस टकटकी लगाए उसे निहारे जा रहे थे।

संग आई उसकी भाभी ने चुहल की, पलकें झपक लें, जनाब, कुछ समय में ही आपकी ही होने वाली हैं।

मां ने कोहनी मारी तो हकीकत से रूबरू हुए, बड़े झेंपे लेकिन दिल था कि उछल उछल के आंखों के रास्ते सारे राज खोल देने पर उतारू था।

उसकी मां को शक था कि दोनों की उम्र में इतना फर्क है, क्या मजबूरी है जो इतनी प्यारी लड़की अपने से दुगनी आयु वाले लड़के से विवाह को राजी है।

बहुत समझाया, रमाकांत को उन्होंने पर उसकी आँखों के रास्ते वो हसीन, कमसिन लड़की उसके दिल को पूरी तरह कब्ज़ा चुकी थी, अब कोई भी दलील बेमानी थी। इश्क और मुश्क कहाँ, किसके रोके रुके हैं।

आखिर इंतजार के पल खत्म हुए और रमाकांत को अपनी गुड़िया सी प्यारी दुल्हन, सुहाग सेज पर इंतजार करती मिल ही गई। वो मदहोश से हुए, उसकी तरफ बढ़े ही थे, घूंघट उठा के देखा तो पूनम का चांद सा मुखड़ा देख दिल बाग बाग हो उठा।

बहुत प्यार की बातें कीं दोनों ने, संग संग जीने मरने की ढेरों कसमें खाई, फिर एक अदा से उठकर उनकी दुल्हन ने जब उनके हाथों में दूध का ग्लास पकड़ाया तो वो चौंके, अरे मां....

वो अपनी बात पूरी भी न कर पाए थे, अपनी नाजुक हथेली उन के होंठों पर रख दुल्हन ने कहा, सब को सुला के ही आई हूं, अब बस हम और तुम…...

रमाकांत तो एक ही घूंट में सारा गिलास हलक के अंदर कर गए और ये कैसा नशा सा हुआ, उसकी सुन्दर मादकता का नशा था या कुछ और....गहरी नींद में एक तरफ लुढ़क गए।

सुबह बहुत देर में आंख खुली तो सारे घर में हंगामा मचा था, पता चला, वो दुल्हन तो सब कुछ लूट के ले गई थी।

इतना पॉपुलर वकील, क्रिमिनल लॉयर और ऐसा क्रूर मज़ाक, अंदर तक हिला गया उसे ये सबक पर अब पछताए क्या होता जब चिड़िया खेत चुक गयी थी।

सीधे उस मैरिज ब्यूरो पहुंचे, उन्होंने बताया कि हमें भी आज ही पता चला है कि वो फ्रॉड थी, पुलिस में केस दर्ज है, कुछ न कुछ जल्दी ही पता चलेगा।

रमाकांत बिल्कुल टूट गए थे, कई बार डिप्रेशन में आ जाते, मैंने उस लड़की से सच्चा प्यार किया था, आखिर क्या कमी थी मुझमें, वो भी तो कितनी सच्ची दिखती थी, इतना भोलापन और ये करम।

उन्हें विश्वास न होता, सारी मनुष्यता से जैसे भरोसा उठ गया हो।

काफी समय बाद, एक दिन पता चला कि वो पलक नाम की" चोरनी दुल्हन", पुलिस की गिरफ्त में है।

यूँ कि मां बाप ने चैन की सांस ली, चलो मेहनत से कमाई गई कुछ तो दौलत शायद वापिस मिल जाएगी अब।

लेकिन रमाकांत , एक दिन चुपचाप उससे मिलने जा पहुंचे, सलाखों के पीछे जेल में वो सिर नीचे झुकाए बैठी थी, अभी भी कितनी मासूम दिख रही थी।

बड़ी तिकड़मों से रमाकांत जी ने उससे दस मिनट की अकेली मुलाकात करनी चाही थी और अब वो आमने सामने थे।

रमाकांत जी ने डबडबाई आंखों से उससे पूछा, तुमने मुझे धोखा क्यों दिया, वो पैसा, जो तुम लेकर भागी थीं, उसकी मालकिन तो तुम वैसे ही बन जाती।

जो कहानी पलक ने उन्हें सुनाई, उससे उनके पांव तले जमीन सरक गई। उसने बताया वो बहुत गरीब लड़की थी, उसके मा बाप मर गए तो उसके रिश्तेदार चाचा ने उसकी शादी कर दी उस आदमी से जो जुआरी था, शराबी था, वो रोज उसे पीटता, दुर्व्यवहार करता, एक दिन हद हो गई जब उसके पति ने उसे किसी को बेच दिया, फिर उसी आदमी ने उसे मजबूर किया कि वो उसके साथ ये धंधा करे। वो बहुत मजबूर थी, उसकी कोई स्वतंत्र इच्छा नहीं है, उसके हाथ बंधे हुए थे।

रमाकांत ने उससे वादा किया, अगर तुम सच कह रही हो, तो मैं सारे प्रमाण इकट्ठे करूंगा, तुम्हारा केस लड़ूंगा और जीतूंगा भी। बेशक तुम पर बहुत केस लगे हुए हैं पर मैं एक दिन तुम्हें यहां से बाइज्जत बरी करा के ले जाऊंगा। तुम उस दिन का इंतजार करना।

पलक की आंखों में खुशी के आंसू तैर गए और वो तेज कदमों से जाते रमाकांत को देखती रही।



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