दस साल की माँ
दस साल की माँ
10 साल की केया छठी कक्षा में पढ़ने वाली प्यारी सी बच्ची चंडीगढ़ के छोटे से मोहल्ले में रहती थी। पढ़ना उसे बहुत अच्छा लगता है। अंग्रेजी और गणित उसके पसंदीदा विषय थे। पिता सरकारी नौकरी करते थे। वह अपनी बेटी को पढ़ा-लिखा कर एक उच्च अधिकारी बनाना चाहते थे। हंसता - खेलता परिवार था। माँ मंजू घरों में काम करके परिवार की मदद करती थी। पांच साल का छोटा भाई कमल था। मंजू का चचेरा भाई अक्सर घर आता रहता था। माता-पिता को कोई आपत्ति भी नहीं थी क्योंकि वह मामा था। पिता मदन अरोड़ा ने अपना छोटा सा एक कमरे का घर भी बना लिया था। परिवार के चारों सदस्य खुशहाल थे।
केया का स्कूल घर से दो किलो मीटर पर था। वह रोज पैदल ही स्कूल आया जाया करती थी। कभी स्कूल मित्र साथ होते तो कभी अकेले भी आ जाता थी। वह कक्षा में सदैव प्रथम आती थी। सभी शिक्षक उसे बहुत प्यार करते थे। देखने में भी बहुत सुंदर थी। एक दिन जब वह स्कूल से वापस घर आयी तो घर में सिर्फ केया का मामा था। माँ छोटे भाई को लेकर काम पर गई थी। मामा ने उसके साथ कुकर्म करके छोड़ दिया। वह भय के कारण माता-पिता को कुछ भी बता नहीं सकी। वह अबोध सी बच्ची अनमनी सी रहने लगी। वह गुमसुम सी हो गई थी। उसे पेट में दर्द होता था पर वह सब सहन करती रही। एक दिन वह दर्द से तड़प रही थी। तब उसके माता-पिता ने उसे डॉक्टर को दिखाया तो वह डॉक्टर की बात सुनकर सिर से पैर तक हिल गए।
उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनकी छोटी सी प्यारी सी अबोध बच्ची गर्भवती है। माँ तो माथा पकड़ कर गिर गई और पिता को हार्ट अटैक हो गया। उस मासूम सी केया को कोई जानकारी नहीं थी कि उसे क्या हुआ है। उसे इस बात की भी ठीक से जानकारी नहीं है कि उसे क्या परेशानी है। वह ख़ुशमिज़ाज बच्ची है जो तुरंत मुस्कुरा देती है। वह शर्मीली सी हो गई और ज़्यादा बात नहीं करती थी। उसे चित्रकारी अच्छी लगती है और वह काफ़ी अच्छी ड्रॉइंग भी कर लेती है पर अब उसका मन किसी काम में नहीं लगता था। वह अपने पसंदीदा कार्टून 'छोटी आनंदी' और 'शिन चैन' देखना भी भूल गई थी। उसे चिकन, मछली और आइसक्रीम खाना पसंद था।जिसके लिए वह माँ से जिद्द करती थी लेकिन अब उसने सब जिद्द छोड़ दी थी।
उसके माता-पिता को इस बात का बहुत देर से पता चला इसलिए
गर्भपात भी नहीं हो सकता था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बच्ची की तरफ़ से गर्भपात की इजाज़त के लिए दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि गर्भ 32 हफ़्ते का हो गया है। डॉक्टरों के एक पैनल ने कोर्ट को सलाह दी थी कि इस स्टेज पर गर्भवात करवाना बच्ची और उसके भ्रूण, जो की ज़िंदा है के लिए 'बेहद जोखिम भरा' हो सकता है।
कोर्ट का यह आदेश लड़की के परिजनों के लिए निराशाजनक रहा। उन्हें उम्मीद थी कि कोर्ट से अबॉर्शन की इजाज़त मिल जाएगी। पर ऐसा न हो सका।
10 साल की इस बच्ची के मामले ने चंडीगढ़ समेत पूरे भारत को हिलाकर रख दिया था। चंडीगढ़ स्टेट लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटी के सदस्य सचिव महावीर सिंह ने समाचार माध्यम को बताया हमने 14-15 साल की उम्र में गर्भवती होने के कई मामले देखे हैं मगर 10 साल की बच्ची का मामला मैं पहली बार देख रहा हूं। भारत का कानून जब तक 20 हफ्तों के बाद गर्भपात की इजाज़त नहीं देता है। जब तक डॉक्टरों के मुताबिक मां की ज़िंदगी को कोई ख़तरा न हो। मगर हाल के कुछ सालों में अदालतों में कई याचिकाएं आई हैं जिनमें 20 हफ़्तों के बाद अबॉर्शन की इजाज़त मांगी गई थी। पर खरीज कर दी गई थी।
इनमें बहुत सी याचिकाएं रेप के शिकार हुए बच्चों की तरफ से भी थी। ज़्यादातर मामलों में छोटी बच्चियों के गर्भ के बारे में देरी से पता चलता है क्योंकि बच्चों को ख़ुद अपनी स्थिति के बारे में पता नहीं होता है। 10 साल की इस बच्ची के मामले में भी उसके गर्भवती होने का पता 3 हफ़्ते पहले ह
ी चला जब पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत के बाद मां उसे डॉक्टर के पास ले गई। बच्ची के संपर्क में रहने वाले एक शख्स ने बताया कि वह बहुत भोली है और उसे नहीं पता कि उसके साथ क्या हुआ क्योंकि वह 'तंदुरुस्त और गोलमटोल' सी थी इसीलिए शायद उसके माता-पिता को भी पता नहीं लग पाया। इसके अलावा वे सपने में भी कैसे सोच सकते थे कि उनकी बच्ची 10 साल की उम्र में गर्भवती हो जाएगी। बच्ची को अभी तक उसके गर्भवती होने की जानकारी नहीं दी गई थी। जो उससे बात करते थे। वे बड़ी सावधानी बरतते है। उसे बताया गया है कि उसके पेट में बड़ा सा पत्थर है और यह उभार इसी वजह से है।
उसका परिवार बहुत अच्छा है।
उसे ख़ास डाइट के तहत अंडे, दूध, फल, मछली और चिकन दिया जा रहा था। ख़ुद का इस तरह से ज़्यादा ख़्याल रखे जाने से वह ख़ुश भी नज़र आ रही थी। मगर पिछले दिनों से घर पर पुलिस, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों का आना जाना लगा हुआ था। घर के बाहर मीडिया का भी जमावड़ा लगा रहता था। कुछ का कहना है कि शायद उसे अहसास है कि उसके साथ क्या हुआ है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि उसे असल समस्या का पता नहीं होगा। मामले की गंभीरता का अहसास नहीं होगा मगर मुझे लगता है कि अब उसे कुछ-कुछ समझ आ गया होगा।
उसके माता-पिता भी हालात से जूझ रहे थे। परिवार ग़रीब था और एक कमरे के फ़्लैट में रहता था। उसके पिता सरकारी नौकरी करते है और मां घरों में काम करती थी। मामले की जांच करने वाली महिला पुलिस अधिकारी प्रतिभा कुमारी बताती है कि, यह बहुत अच्छा परिवार है। वे इतने सीधे है कि उन्हें अहसास ही नहीं हुआ कि वह आदमी उनकी बेटी के साथ क्या कर रहा है।
वह कहती है कि ज़ाहिर तौर पर बच्ची के माता-पिता बहुत परेशान थे। उन्होंने बताया कि ऐसा कभी नहीं हुआ जब उसकी मां बात करते हुए रोई न हों। पिता कहते है कि ऐसा लगता है कि मेरी बेटी का कत्ल हो गया है।
भारत में ये है शोषण के आंकड़े-
हर 155 मिनट में 16 वर्ष से कम आयु के बच्चे का रेप होता है।
हर 13 घंटों में 10 साल के बच्चे से बलात्कार होता है।
2015 में 10 हजार से ज्यादा बच्चों का रेप हुआ है।
भारत में रहने वाली 24 करोड़ महिलाओं की शादी 18 साल से पहले हो गई थी।
सरकार द्वारा करवाए गए सर्वे में हिस्सा लेने वाले बच्चों में 53.22% का यौन शोषण हुआ था। 50 फ़ीसदी शोषण करने वाले लोग बच्चों के परिचित और भरोसे वाले होते है।
जब से बच्ची के रेप और गर्भवती होने की ख़बर सुर्ख़ियों में आई थी। पत्रकार परिवार के पीछे लगे हुए थे।इससे उनकी स्थिति और भी ख़राब हो गई थी। चाइल्ड वेल्फ़ेयर कमेटी के चेयरमैन नील रॉबर्ट्स ने मीडिया को बताया कि जब लड़की के पिता मुझसे मिलने आए तो उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी समस्या प्रेस है। उन्होंने कहा कि उनके घर के बाहर हर वक़्त रिपोर्टर खड़े रहते है और इससे उनकी निजता के साथ खिलवाड़ हो रहा है। मीडिया में मामला आने से संभव है कि अब लड़की को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें और सरकार से मुआवज़ा भी मिले। मगर अवांछित प्रचार होने से परिवार का दुख और बढ़ गया था। कई पत्रकार चाइल्ड वर्कर्स बनकर उस वक्त घर में घुस गए जब पिता काम पर गए हुए थे।
चूंकि कथित रेपिस्ट मां का चचेरा भाई था इसलिए कुछ ने सवाल उठाए कि उसे इसका पता था या नहीं। यह तक कहा गया कि इस सब में कहीं मां की सहमति तो नहीं थी। उन्होंने सवाल किए उसे 7 महीनों तक कैसे पता नहीं चला कि उसकी बेटी गर्भवती है इस बात ने परिवार के लिए बहुत परेशानी खड़ी हो गई है।
आज न जाने कितनी अबोध केया इस दंश को झेल रही है।
इससे अबोध बच्चियों को कब मुक्ति मिलेगी।
जब तक बलात्कारियों के लिए कोई कठोर दंड का प्रावधान नहीं होगा तब तक लाखों कोमल कलियां इसी प्रकार मसली जाती रहेगी।