STORYMIRROR

दृष्टि

दृष्टि

2 mins
875


पूरा वातावरण संगीत की स्वर लहरियों एवं लज़ीज़ पकवानों की महक से लबरेज़ था। अवसर था शहर के प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मेहरा के इकलौते पुत्र के विवाह अवसर पर आयोजित रिसेप्शन का। आयोजन में शहर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों एवं रईस रिश्तेदारों की उपस्थिति डॉ. मेहरा की हैसियत को स्वयं बयान कर रही थी।

रिसेप्शन के मध्य ही डॉ. मेहरा ने यह उदघोषणा कर सभी को अचंभित कर दिया कि इस अवसर पर प्राप्त समस्त उपहार एवं नकद राशि को वे नेत्रहीनों के हितार्थ स्थापित नेत्रम ट्रस्ट को सौंप देंगे। सभी अतिथियों ने मुक्त कंठ से इस निर्णय की प्रशंसा की।

अगले दिन स्थानीय अखबारों में इस समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। प्रातः आमजन इस खबर से रूबरू हो रहे थे वहीं डॉ. मेहरा के बंगले पर अफरा तफरी सी मची हुई थी। हो भी क्यों न मिसेज मेहरा की हीरे की अंगूठी जो लगभग दो लाख रुपए की थी गुम जो हो गयी थी। बंगले के सभी प्रमुख स्थानों पर खोजने के बाद नतीजा सिफ़र रहा तो शक की सुई विगत कई वर्षों से बंगले पर खाना बनाने वाली बूढ़ी शबरी पर आकर टिक गयी। कड़ी पूछताछ करने पर घबराई रुआंसी शबरी एक शब्द न बोल पाई बस गर्दन हिलाकर स्वंय के निर्दोष होने का प्रमाण देती रही। थक हार कर डॉ. मेहरा ने उसे दोषी मान बंगले से निकाल दिया।

करीब आधे घंटे बाद डॉ. मेहरा का आठ वर्षीय भतीजा राघव दौड़कर आया और मिसेज मेहरा के हाथ में गुम हुई अंगूठी रख दी। पूछने पर पता चला कि खेल खेल में वह मिसेज मेहरा के बाथरूम में छिपने के लिए गया तो वह अंगूठी वहाँ उसे पड़ी मिली।

बंगले से ग़म ओझल हुआ और ओझल हुई धुँधली आंखों वाली बूढ़ी शबरी.....सदा के लिये।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy