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Dr. Sudhir Mahajan

Tragedy

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Dr. Sudhir Mahajan

Tragedy

लघुकथा : केयर टेकर

लघुकथा : केयर टेकर

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यह तो है ही निकम्मा... और ज़ुबान से भी कड़वा ....भुनभुनाती हुई माँ के शब्द सदा की तरह सिद्धा के कानों में पड़े। जूते उतार कर पिताजी भी बड़बड़ाते हुए, मुँह बनाकर पेपर बांचने बैठ गये। 


सिद्धा तीन भाइयों में सबसे छोटा था। कुंवारा व बेरोजगार ये दो विशेषण उसकी पहचान के पर्याय थे। उसके दोनों बड़े भाई पैतृक भवन में ही ऊपरी दो मंज़िलों पर निवासरत थे। दोनों भाई अपनी अपनी पारिवारिक इकाई संग खासे तरीके से गुजर बसर कर रहे थे। निज राशन की तुलना में बुजुर्ग माता- पिता की दवाइयों का खर्चा कहीं अधिक था फलतः एक- एक माह का खर्चा दोनों बड़े भाई नित नागा वहन किया करते थे। माता- पिता भी दोनों बड़े बेटों की तारीफ़ करते न अघाते।


कोरोना काल में सिद्धा अपने दिल के मरीज पिता को लेकर खासा चिंतित रहता। परिवार के अन्य सदस्यों की चुप्पी से भिन्न उसने आज भी, पिता के बिना मास्क पहने बाजार में जाने पर आपत्ति ली थी। 


माँ की ऊंची आवाज़ अब भी ऊपरी मंज़िलों तक पहुँच रही थी.. दोनों भाई इसे रोज का मसला जान अपने अपने काम में मशगूल थे।



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