दोस्त के रूप में दुश्मन(9)
दोस्त के रूप में दुश्मन(9)


"यार,इस संडे तक सब सामान सेट कर लेंगे।जिससे खाना तो कम से कम बन सके।"-कौशल ने अपनी पत्नी विजया से कहा।कौशल बैंक में नौकरी करता था।उसका तबादला दूसरे शहर में हुआ था।कौशल की माँ ने खाना रास्ते के लिए रख दिया था।जिससे रास्ते में खाने की दिक्कत न हो।उसी से उनका काम चल गया था।
"कौशल,जब तक तुम फ्रेश हो मैं सामने वाली दुकान से ब्रेड-बटर ले आती हूँ।चाय की दुकान मिली तो चाय भी ले आऊँगी।"-यह कहकर विजया सामान लेने चली गई।
दस मिनट बाद घर की घंटी बजी,कौशल ने सोचा विजया आ गई।विजया ने जैसे ही गेट खोला सामने 19-20 साल की लड़की हाथ में 2 कप चाय और कुछ सेंडविच लेकर खड़ी थी।कौशल जब तक कुछ समझता तब तक वह लड़की बोली-"हाय!मैं श्रुति।आपके बगल वाले फ्लैट में ही रहती हूँ।आप लोग कल रात को आये हैं थो आपके पास नाश्ते का इंतजाम नहीं होगा इसलिए मम्मी ने भेजा है।आपकी मिसेज कहाँ है यह कहकर वह अंदर आ गई।" कौशल अचकचा के बोला-"वह सामने दुकान तक गई है ब्रेड लेने।आपने खामखां परेशानी उठाई।आप ले जाइये।"
"आप लीजिए।हमारे यहाँ भी बेकार पड़ी रहेगी।हम सब नाश्ता कर चुके हैं।इफ यू डोंट माइन्ड आपका नाम क्या है?"-श्रुति बोली।"जी,मेरा नाम कौशल है और एक बैंक में कैशियर हूँ।"-कौशल बता रहा था।इतने में विजया हाथ में दूध-ब्रेड लिए अंदर आई।कौशल बोला-"ये लीजिए,मेरी मिसेज आ गई।आप इनसे बात कीजिए।विजया,ये हमारे लिए नाश्ता लाई हैं।"यह कहकर कौशल नहाने चला गया।"आप नाश्ता कीजिए।ठंडा हो जायेगा।कुछ जरूरत हो तो बताइयेगा।दोपहर का खाना मत बनाइयेगा।हम भेज देंगें।"-श्रुति यह कहकर चली गई।कौशल और विजया खुश थे कम से कम पड़ोसी तो अच्छे मिले।
कौशल अपनी ड्यूटी जाने लगा।खाली समय में श्रुति और विजया साथ बतियाने लगी और दोनों अच्छी सहेली बन गई।दोनों ज्यादातर साथ रहती थीं।घर में सामान सेट करने में श्रुति विजया की मदद करती थी।धीरे धीरे उन दोनों में दोस्ती हो गई।कौशल श्रुति को
ऑफिस जाते वक्त उसके कॉलेज छोड़ देता।अब हर वक्त बेवक्त श्रुति विजया के घर बैठी रहती और कालेज की बताती रहती ।शुरू-शुरू में विजया को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा पर धीरे-धीरे वह नोटिस कर रही थी कि श्रुति उसके पति कौशल में ज्यादा इंटरेस्ट ले रही है।जब कौशल घर रहता है तो भी घर आ जाती है और तब उसी से ज्यादा बात करती है।बात-बात में छेड़ भी देती तेरे लिए कौशल जैसा पति ढूंढ के लाऊँगी।
एक दिन विजया नहा रही थी।जैसे ही वह नहा के निकली देखा श्रुति कौशल का हाथ पकड़े है और कह रही है-"यार,ऐसे मत करो।मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ।जानती हूँ ये सही नहीं है पर मैं क्या करूँ।आई कान्ट कंट्रोल माय इमोशंस।बोलो न तुम भी मेरे से प्यार करते हो।"कौशल ने हाथ छुड़ाते हुए कहा-"मेरा हाथ छोड़ो विजया आ जायेगी।मैं एक बार नहीं कई दफा कह चुका हूँ, मैं तुमसे प्यार नहीं करता हूँ।तुम समझती क्यों नहीं हो,मैं शादीशुदा हूँ।तुम विजया की दोस्त हो उससे बात करो।मेरा तुमसे कोई लेना देना नहीं है।प्लीज़ मुझे बख़्स दो।मैं विजया से बहुत प्यार करता हूँ।तुम तो यहाँ से जाने वाली नहीं मैं ही निकल जाता हूँ।"यह कहकर कौशल जैसे ही बाहर निकला देखा विजया खड़ी थी।विजया को देखकर वह हड़बड़ा गया।
विजया भांप गई थी उसने कहा-"मैंने सब सुन लिया है।तुम दोनों क्या बात कर रहे थे।श्रुति मैंने तुमको अपना सबसे अच्छा दोस्त माना और तुमने मुझे धोखा दिया।पीठ पीछे बार किया।आज हमारी दोस्ती टूट गई।आज के बाद मेरे घर मत आना।"
श्रुति को अपनी गलती का अहसास हो रहा था पर उसके स्वार्थ ने उसकी सच्ची दोस्ती तोड़ दी थी।विजया अपने पति कौशल से कह रही थी-"अब हम इस एरिया में नहीं रहेंगे।"
दोस्तों, यह कहानी नहीं है हकीकत है।आजकल कौन दोस्त कौन दुश्मन समझ नहीं आता।किसी पर उतना ही विश्वास करें जितना जरुरी है क्योंंकि हर लड़का कौशल नहीं होता।