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Sajida Akram

Inspirational

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Sajida Akram

Inspirational

दोगलापन

दोगलापन

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आज साहिल का 11वीं क्लास की बोर्ड एग्जाम की फीस डेट आ गई थी, साहिल ने अपनी अम्मी से पहले ही बता रखा था मेरी फीस के लिए बाबू को बता देना ।

वैसे तो सरकारी स्कूलों में फीस नामिनल लगती थी वो भी बोर्ड की100रुपये बस फिर भी घर के हालात से पूरी तरह वाक़िफ़ था।

बाबू उसके घर में अम्मी को महीने के गिने -चुने रुपये देते थे ।उसमें भी वो खींच-तान कर महीने का गुज़ारा बड़ी मुश्किल से कर पाती थीं।

ऐसा नहीं था कि साहिल के बाबू कोई मज़दूरी करते हो अच्छे खासे सरकारी दफ्तर में क्लर्क थे ।उसपर भी उनके बाहर के अपने शोक़ पर ही तन्ख़ावाह का तिहाई हिस्सा ख़र्च कर देते थे।

साहिल अपनी अम्मी के बहुत करीब था वो छोटी ही उम्र में उसमें ज़िम्मेदारी आ गई थी अक्सर छोटे-मोटे काम करके अपनी अम्मी को घर खर्च चलाने में मदद करने लगा ।

अम्मी ने साहिल की फीस की बात की अपने पति से तो उन्होंने साफ मना कर दिया मेरेपास फीस के कोई रुपये नहीं अम्मी ने बहुत इकरार किया की बच्चे का साल ख़राब हो जाएगा मगर उन्होंने कहा फीस के रुपये नहीं है तो मत पढ़ाओ।

कुछ काम -धंधा देखो क्या ज़रूरत है स्कूल जाने की, साहिल की अम्मी ने कहा बच्चा पढ़ने में बहुत होशियार है मैं तो आगे पढ़ाऊंगी उसे चाहे कुछ भी हो जाए ।

अब बेचारी कम पढ़ी -लिखी थी मगर पढ़ाई की एहमियत जानती थी, साथ ही जुझारू लेडीज़ थी इतनी कम तन्ख़ावाह में चार बच्चों की परवरिश कर रही थी।

उन्होंने साहिल को अपने कान में सोने के टाप्स थे निकाल कर दिये और कहा किसी सुनार के यहां जाकर गिरवी रख आ और जो रुपये मिले उससे तुम्हारी फीस भर दो।

वो मासूम इतनी छोटी उम्र में सुनार के यहां गया तो सुनार ने पहले तो साहिल को ऊपर से नीचे तक देखा फिर पूछा तुम पढ़े -लिखे लगते हो ये कहां से लाए, वो शक करने लगा चोरी के तो नहीं है।

उसने सारा नाम -पता बताया और कहा ये मेरी अम्मी के हैं मेरी फीस के लिए गिरवी रखना चाहता हूं जैसे ही हमारे पास रुपये आएंगे।तो छुड़ा लेगें ।

साहिल को उस दिन से समझ आई के अम्मी अपनी एक अदद सोने चीज़ को भी मेरे लिए गिरवी रख दिया। थोड़ी.ही देर पहले अम्मीऔर साहिल ने बाबू के आफिस से आने के बाद उनकी पेन्ट में पर्स.चैक किया था उसमे 100-100 के दो नोट रखें देखे थे।

अम्मी और साहिल को उनका ये दोगलापन बहुत खला, साहिल की अम्मी की मेहनत बेटे का भविष्य सुधारने की ललक ने आगे चलकर वो एम.ए. गोल्ड मेडल लिस्ट बना और अम्मी की दुआ से उसने अपने "स्टेट पब्लिक कमिशन सर्विस"में सेलेक्ट हो कर क्लास टू आफिसर बना ।

इस तरह से माँ और बेटे की मेहनत रंग लाई....


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