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Dinesh Divakar

Drama Horror

3  

Dinesh Divakar

Drama Horror

दिव्य दृष्टि- एक रहस्य 6

दिव्य दृष्टि- एक रहस्य 6

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इस भाग को समझने के लिए पिछले पांच भागों को पढ़ें।


अब तक.....


दृष्टि दिव्या को धोखा देकर प्रेम से शादी करने के लिए मंदिर में बुलाया लेकिन ऐन वक्त पर दिव्या ने शादी रूकवा दिया और प्रेम को सारी सच्चाई बता दिया जिससे गुस्सा होकर दृष्टि ने दिव्या को मार डाला और प्रेम के न मिलने पर खूद भी मर गई फिर जो जैसिका को मारने के लिए आगे बढ़ी।


अब आगे.....


दृष्टि जैसिका को मारने के लिए आगे बढ़ी तभी प्रेम का दोस्त रोहन अपने साथ सहस्त्रबाहु जो कि पैरानॉर्मल एक्सपर्ट हैं लेकर आते हैं , सहस्त्रबाहु ने अपने थैले से एक भभुत निकालकर जैसिका के शरीर पर फेंका ।


जिससे जैसिका शांत होकर जमीन पर गिर पड़ी और बेहोश हो गई, फिर सहस्त्रबाहु ने अपने दो शिष्यों को जैसिका को बेड पर बांधने के लिए कहा। उनके शिष्यों ने वैसा ही किया।


रोहन- प्रेम ये वही बाबा हैं बड़ी मुश्किल से मना कर यहां लाया हूं।


प्रेम- प्रणाम बाबा जी


सहस्र बाहु- खुश रहो

      देखो प्रेम मैं अब भुत प्रेत भगाने का कार्य छोड़ चुका था औऊ एक शांत जीदगी जीने लगा था लेकिन जब रोहन ने तुम्हारे बारे में बताया तो मुझे एक बहुत बड़ी समस्या को आते देखा इसलिए मैं तुम्हारी मदद करने के लिए आ गया।


प्रेम- धन्यवाद बाबा जी


स. बाहु- और एक बात मुझे बाबा मत बुलाना अच्छा नहीं लगता क्योंकि मैं एक पैरानॉर्मल एक्सपर्ट हूं ।


प्रेम- जी मैं आपको सर कहकर बुलाऊंगा।


स. बाहु- सोनू चंदन जरा मेरी छड़ी और रूद्राक्ष की माला देना तो ( सोनू और चंदन उनके शिष्य थे)


जी गुरुजी- दोनों शिष्य बोले


थोड़ी देर तक सहस्त्रबाहु आंख मुदकर मंत्र जाप करते रहे और अपनी छड़ी घुमाते रहे तभी वे अचानक से रूक गए ये क्या इस घर में एक नहीं दो दो आत्माओ का वास है।


प्रेम- क्या दो दो आत्मा !


स. बाहु- हां तो आत्मा लेकिन एक जो काली शक्तियों की साधना करके बहुत शक्तिशाली हो गई है और दूसरी जो एक सच्ची आत्मा है और शांत स्वभाव की है जो तुम्हारी रक्षा कर रही है।


प्रेम- मेरी रक्षा, मतलब बस में आफिस, सिनेमा, घर इन सब में जिसने मेरी जान बचाई वो यही है।


स. बाहु- हां शायद उससे तुम्हारा कोई सम्बन्ध है जो कमजोर होते हुए भी तुम्हारी रक्षा कर रही है।


प्रेम- दिव्या


प्रेम के आंखों में फिर से वही दुख और आंसु आ गए।


स.बाहु - प्रेम उसे बुलाओ वो तुम्हारी मदद कर सकती हैं, हम सब जाते हैं तुम उसका ध्यान करना वह जरूर आयेगी।


कुछ देर के बाद प्रेम बोला- दिव्या आज तीन साल हो गए तुमसे बिछड़े, बहुत याद आती है यार तुम्हारी, क्यो चली गई मुझे छोड़कर


मुझसे नाराज़ हो क्या होना भी चाहिए अगर मैं तुम दोनों बहनों के बीच में न आता तो तुम दोनों का ये हाल न होता।


अगर तुम मेरे सामने नहीं आना चाहती तो मत आओ कोई बात नहीं, मुझे सजा मिलनी चाहिए लेकिन जैसिका वो तो निर्दोष हैं।


इसके बाद प्रेम रोते हुए वहां से जाने लगता है तभी पीछे से आवाज आई - रूको प्रेम (वह दिव्या की आत्मा थी)


रूको मैं बस तुमसे नाराज़ थी तुमने इतने दिनों में मुझे एक बार भी याद नहीं किया, मैंने तुमसे कहा था ना कि मैं तुम्हारे बुलाने पर जरूर आऊंगी ।


प्रेम- सौरी यार, लेकिन कसम से जो मैंने तुम्हें एक दिन भी मिस नहीं किया हो। लेकिन तुम दोनों की यह हालत.......


दिव्या- जब मेरे समय से पहले मृत्यु हो गई तो मेरी आत्मा को मुक्ति नहीं मिली तब मैं यही रहकर लोगों की मदद करने लगी लेकिन दृष्टि काली शक्तियों की साधना करके बहुत शक्तिशाली हो गई और उसने एक मायाजाल बनाकर मुझे धोखे से उसमें कैद कर लिया, लेकिन वह मुझे पुरे दिन उस मायाजाल में बांध नहीं सकती ।


प्रेम- और जो मेरी मदद था वो


तभी जैसिका जोर जोर से चिखने लगी। उसके चीख से पुरा कमरा दहल उठा

प्रेम और जैसिका दौड़ते हुए उसके कमरे में ग‌ए।


दृष्टि- छोड़ो मुझे मैं इस लड़की को नहीं छोडूंगी मैं प्रेम को पाकर ही रहूंगी


ऐसा कहकर वह अपने यानी जैसिका के होंठ को चबाने लगी जिससे जैसिका के होंठ खून से लाल हो गया, तभी जैसिका की हल्की सी आवाज आई- प्रेम मुझे बचा लो मुझे बहुत दर्द हो रहा है।


दृष्टि- कोई नहीं बचा सकता तुझे, मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी।


और फिर दृष्टि जोर जोर से चिखना चालू कर दिया पुरा घर उसके चीख से गूंज उठा, जैसिका के शरीर से सीलन और गंदी बदबू आने लगी वह लगातार अपने हाथ पांव हिलाने लगी तभी उसको बांधी रस्सी छूट गई अब वह आजाद हो गई।


दृष्टि कुटिल मुस्कान से बोली- हां हां हां अब मैं जा रही हूं लेकिन फिर वापस आउंगी तुम्हारी मौत बनकर।


दिव्या- प्रेम उसे रोको वह इस कमरे से निकल गई तो जैसिका को अपने मायाजाल में बांध लेगी फिर उसे बचा पाना असम्भव हो जायेगा।


प्रेम उसे रोकने के लिए आगे बढ़ा और जैसिका को जोर से पकड़ लिया लेकिन दृष्टि के सामने वह कुछ भी नहीं था दृष्टि ने उसे जोर से जमीन पर पटका और फिर उठकर डाइनिंग टेबल पर फेंका जिससे टेबल चरमरा कर टूट गया और प्रेम वहीं गिर गया अब प्रेम में इतनी ताकत नहीं थी कि वह खड़ा भी हो पाएं


दिव्या ने भी दृष्टि को रोकने की कोशिश की लेकिन नाकामयाब रही।


फिर दृष्टि बोली- अब तुम्हें कोई नहीं बचा सकता पहले मैं तुम्हें पेट भरकर खाऊंगी और फिर इन लोगों को...... हां हां हां


फिर जैसिका के शरीर में घुसी दृष्टि छलांग लगाते हुएइ कमरे से बाहर निकल गई।


क्या दृष्टि जैसिका को मार देगी ?

क्या दृष्टि अपने मनसूबे पर कामयाब तो नहीं हो जाएगी ?

क्या प्रेम और जैसिका दृष्टि को हरा पाएंगे ?


*हेल्लो दोस्तों आप सभी के रिक्वेस्ट पर मैं मेरे बाकी कहानियों को छोड़कर इस कहानी को पूरा करने में लगा हूं , इसके बाद की स्टोरी और भी खौफनाक और डरावनी है जिसे पढ़कर आपका दिल दहल जाएगा।*



          


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