Dinesh Divakar Stranger

Drama

0.2  

Dinesh Divakar Stranger

Drama

दिव्य दृष्टि- एक रहस्य 4

दिव्य दृष्टि- एक रहस्य 4

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इस कहानी को अच्छे से समझने के लिए पिछले तीन भागों को पढ़ें.


अब तक.....

प्रेम के साथ हो रहे अजीब सी घटनाएं अब और भी बढ़ रहे थे इधर जैसिका प्रेम को सरप्राइज देती है वो उन दोनो की सगाई का फिर प्रेम घर आता है तो घर पर कोई साया होता है वह जैसिका के शरीर में घुसकर प्रेम से कहती हैं पहचाना मुझे मैं हूं दृष्टि, कौन है दृष्टि जिसका नाम सुनकर प्रेम चौंक जाता है, इस राज से पर्दा इस भाग में उठेगा.....


अब आगे... ‌


3 साल पहले.......


प्रेम की फार्च्यून गाड़ी सड़कों पर तेजी से चल रहा था आज वह बहुत खुश था क्योंकि उसका नौकरी जो लगने वाला था आज उसी का इंटरव्यू था । अगर आज उसका सेलेक्श हो जाता है तो उसे अपने भाइयों के पैसों पर जीना नहीं पड़ेगा।


वह इन सब ख्यलो में खोया था कि तभी सामने से एक गाड़ी टकराते टकराते बची , प्रेम गाड़ी से उतर कर उस गाड़ी वाले को डांटने लगा, तभी गाड़ी से उतर कर एक खुबसूरत लड़की बाहर निकली 


उसे देखकर प्रेम की बोलती ही बंद हो गई वह धीरे से बोला- देखकर गाड़ी चलाना चाहिए अभी एक्सीडेंट हो जाता वैसे आपको लगी तो नहीं।


वो गुस्से से बोली- नहीं


और फिर गाड़ी में बैठ कर चली गई


प्रेम- वाह क्या जमाना आ गया है भलाई के लिए बोलो तो भी गुस्सा हो जाते हैं।


खैर छोड़ो इन सब के चक्कर में कहीं मेरा इंटरव्यू ना निकल जाए


प्रेम जल्दी से इंटरव्यू के लिए पहुंचता है इस जाब के लिए अच्छी खासी भीड़ लगा था कुछ देर के बाद प्रेम का नंबर आया वह कमरे से बाहर से बोला- मे आई कम इन सर


यस यस कम इन- अंदर से आवाज आई


प्रेम अंदर गया और ये क्या सामने की सीट पर तो वहीं लड़की बैठी है जीससे मेरा एक्सीडेंट होने वाला था, शायद वो मेरे बातों से नाराज़ थी


प्रेम- यहां मेरा कुछ नहीं हो सकता चल बेटा प्रेम यहां से कल्टी मार यहां से, एक लड़की के चक्कर ने तो मुझे मरवा दिया


क्या सोच रहे हो आओ बैठो यहां- वहां बैठे दो और अधिकारियों में से एक बोला


मैं वहां बैठ गया अपनी फाइल उनके हाथो में सौंप दिया और खुद से कहने लगा - अब चाहे जो भी हो इंटरव्यू तो दे कर ही जाउंगा


थोड़ी देर सवाल जवाब के बाद मुझे थोड़ा वेट करने के लिए बोला। आधे घंटे के बाद मुझे कंपनी के मैनेजर के पास भेजा गया।


मैं थोड़ा नर्वस होकर कमरे में गया- ओह ये क्या फिर से नहीं ये यहां भी अब तो पक्का गया मेरा सलेक्सन


मिस्टर प्रेम कम हीयर - वह लड़की बोली और बैठने का इशारा किया


काग्रचुलेशन, अब से आप हमारे कंपनी के नये सब मैनेजर है- वो लड़की मुस्कुराते हुए बोली


थैंक यू मैडम- प्रेम अंशमंजश से बाहर आते हुए बोला


प्रेम - जी मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं


हां पुछो


प्रेम- आप तो उस समय काफी गुस्से में थी इसलिए मुझे लग रहा था कि मेरी नौकरी तो गई


तब वह लड़की बोली- दरअसल मैं गुस्सा जरूर थी लेकिन बाद में मुझे अहसास हुआ कि गलती मेरी थी। और उस समय मैं फोन पर बात कर रही थी तभी गाड़ी ओवरटेक करने के लिए गाड़ी को आगे बढ़ाया लेकिन तभी सामने से एक ट्रक तेजी से आ रहा था तो मुझे कुछ समझ नहीं आया और गाड़ी को मैंने तुम्हारे तरफ मोड़ दिया


प्रेम- चलो जो हुआ अच्छा हुआ मुझे यहां पर एक दोस्त जो मिल गया। मेरा नाम प्रेम और


पता है और मेरा नाम है दिव्या- वह बीच में बोल पड़ी


प्रेम- चलो तो कल मिलते हैं


प्रेम रात को फेसबुक पर दिव्या के प्रोफाइल सर्च कर रहा था लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी दिव्या की प्रोफाइल नहीं मिल पाया।


प्रेम थक कर मोबाइल बंद करने वाला था कि तभी एक लड़की का फ्रैंड रिक्वेस्ट आया नाम था दृष्टि लेकिन ये क्या यह तो दिव्या है- दिव्या के फोटो को देख कर प्रेम चौंका


ओह शायद दृष्टि नाम से प्रोफाइल बनाई है और मैं इधर पागलों की तरह दिव्या नाम सर्च कर रहा था, प्रेम जल्दी से फ्रैंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर दिव्या को मैसेज किया- hi


उधर से दिव्या ने भी हम्म बोला


थोड़ी देर चैट के बाद दिव्या गुड नाईट बोलकर हो गई। और प्रेम भी वाशरूम में जाकर फ्रेश होने लगा तभी आइने में प्रेम की परछाई बोला- क्या हुआ प्रेम क्या तुम उस लड़की से प्यार करने लगे हो


प्रेम- न न नहीं तो वो तो मैं.....


मुझे पता है तुम मुझसे कुछ भी बात छिपा नहीं सकते मैं तुम्हारा प्रतिबिंब हू तुम उसे चाहने नहीं लगे होते तो उसे फेसबुक पर यू पागलों की तरह नहीं ढूंढते और प्रोफाइल नहीं मिलने पर यू उदास नहीं होते।


प्रेम- हां हो सकता है !


प्रेम सुबह सुबह बेड से उठा और फ्रेश होने लगा तभी नीचे से मां ने आवाज लगाई- बेटा सुनो नास्ता तैयार है तुम जल्दी से आ जाओ।


प्रेम - ठीक है मां 


थोड़ी देर बाद वह आफिस के लिए निकल पड़ा। 


हे प्रेम - पिछे से दिव्या बोली


प्रेम- ओ हाय दिव्या कैसी हो


दिव्या- मैं ठीक हूं, दरअसल मुझे तुम्हारी थोड़ी सी मदद चाहिए था


प्रेम- हां बोलो ना


दिव्या- वो मैं आज अपना टिफिन घर पर भुल आइ हूं तो क्या लंच ब्रेक पर मेरे साथ लंच के लिए चलोगे।


प्रेम के तो मन में तो जैसे लड्डू फुट रहे थे।


प्रेम- हां हां ज़रूर चलुंगा।


लंच ब्रेक के बाद दोनों रेस्टोरेंट में...


दिव्या- तो प्रेम तुम्हारे घर पर सब ठीक है


प्रेम- हां सब ठीक है मेरे घर पर मेरे मोम डैड और मैं तीनों रहते हैं वैसे तुम्हारे घर पर कौन-कौन हैं


दिव्या- मेरे घर पर मोम डैड दादी कोई नहीं है बस एक....


आगे बोलने से पहले ही दिव्या का फोन बज उठा


दिव्या- एक मिनट


वह बात करने बाहर चली गई, प्रेम भी बिल पेमेंट कर बाहर आ गया।


प्रेम -हो गया बात अपने ब्वायफ्रेंड से अब चलें


दिव्या- क्या ब्वायफेंड , मै तो अपनी ब.....


प्रेम बीच में बोल पड़ा- पता है पता है अब बहाना मत मारो मुझे सब पता है


दिव्या- अरे मैं सिर्फ तुमसे प्यार करती हूं


प्रेम- क्या कहा?


दिव्या जैसे सच बोल पड़ी फिर घबराते हुए बोली- न नहीं कुछ नहीं , मैं चलती हूं


उस दिन से प्रेम और दिव्या की चैटिंग बढ़ गया दोनों घंटों एक दूसरे से बातें किया करते थे और फिर एक दिन दिव्या ने एक मैसेज भेजा- प्रेम मुझे तुमसे कुछ बात करनी है तुम जल्दी से पहाड़ी वाली मंदिर में आ जाओ


प्रेम जल्दी से रेडी होकर मंदिर की तरह निकल पड़ा।

वहां पहुंचा तो वहां दिव्या मौजूद थीं वह थोड़ी घायल थी जैसे किसी से झगड़ा हुआ है। और वो पहले से काफी अलग लग रही थी


प्रेम- दिव्या क्या हुआ तुम्हें ? ये चोट कैसी


दिव्या- वो सब छोड़ो, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं अभी


प्रेम- क्या ये क्या कह रही हो दिव्या ऐसे अचानक शादी


दिव्या- हां मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं और अभी शादी करना चाहती हूं तुम ये बताओं कि मुझसे शादी करोगे कि नहीं


प्रेम- हां मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं


तो फिर चलो इस मंदिर में अभी हम दोनों शादी कर लेते हैं। शादी की तैयारी शुरू हो गया फिर प्रेम को दिव्या के मांग पर सिंदूर भरने का समय आया। वह दिव्या के मांग पर सिंदूर भरने के लिए अपना हाथ उठाया तभी 


पिछे से आवाज आई रूक जाओ प्रेम वो मैं नहीं।

प्रेम पिछे मुडकर देखा तो दिव्या घायल अवस्था में बड़ी मुश्किल से उनके पास आ रही थी।


ये क्या दो दो दिव्या ये क्या रहस्य है? 

अगर वो दिव्या है तो प्रेम जिससे शादी करने जा रहा है वो कौन है ?



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