"धुंधलके के उस पार (भाग 1 )"
"धुंधलके के उस पार (भाग 1 )"
उत्तराखंड राज्य का पिथौरागढ़ जिला अपनी अनमोल प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का भौरी गाँव, जो घाटियों और पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है,एक अद्भुत परिदृश्य प्रस्तुत करता है मानो स्वर्ग का एक टुकड़ा हो। चारों ओर फैली हरियाली, बर्फ से ढकी चोटियाँ, और झरनों की कल-कल ध्वनि इस गाँव की खूबसूरती को चार चाँद लगा देती हैं। यह गाँव किसी चित्रकार की कल्पना का जीता-जागता रूप प्रतीत होता था। गाँव की आबादी लगभग 100 लोगों की थी, जो प्रकृति की गोद में एक सरल और शांत जीवन जीते थे।
गाँव का माहौल शांत था, और यहाँ का वातावरण एक सुकून और शांति का अहसास दिलाता था। यहाँ के लोग अपनी-अपनी दुनिया में रमे हुए थे, लेकिन इस सुंदरता में एक युवा चित्रकार अपनी कला के जरिए उस सौंदर्य को कैद करने में व्यस्त था।
यह एक शांत सुबह थी। सूरज की हल्की किरणें घाटियों पर गिर रही थीं, और बादलों ने ऐसा आभास दिया मानो वे जमीन को छू रहे हों। पक्षियों की चहचहाहट और झरनों की मधुर ध्वनि इस सुबह को और भी खास बना रही थी।गाँव का एक युवक, आर्यन, अपनी कूची और कैनवास के साथ घाटी के किनारे बैठा था। वह एक उभरता हुआ चित्रकार था, जिसका जीवन प्रकृति की सुंदरता को चित्रों में ढालने में ही सिमटा हुआ था। उसके चित्रों में न केवल प्रकृति का सौंदर्य था, बल्कि उनमें एक कहानी भी छिपी होती थी।
आर्यन, भौरी गाँव का एक साधारण युवक था, लेकिन उसकी कला में एक असाधारण क्षमता थी। वह एक चित्रकार था, और उसकी कूची हमेशा उसके साथ रहती थी। वह प्रकृति की छोटी-बड़ी चीजों को अपने कैनवास पर उतारता, और हर चित्र में वह कुछ खास संदेश देता। उसकी दुनिया रंगों में बसी हुई थी, लेकिन भीतर कहीं न कहीं एक खालीपन भी था। वह हमेशा अपने चित्रों के माध्यम से कुछ अधूरा महसूस करता था, शायद उसे उसकी कला की गहरी समझ और सराहना की आवश्यकता थी।
एक दिन, जब आर्यन घाटी के किनारे अपने चित्रों में व्यस्त था, तब सुबह की हल्की धुंध और सूर्य की किरणें एक नया अहसास पैदा कर रही थीं। इसी बीच, किसी की आवाज़ ने उसकी ध्यान खींचा ।
"मुझे माफ करें, क्या आप मुझे यह रास्ता बता सकते हैं?" एक लड़की की आवाज़ ने आर्यन को चौंका दिया।
आर्यन ने मुड़कर देखा, तो लगभग 25 वर्ष की एक अजनबी लड़की खड़ी थी। जिसकी आँखें बड़ी-बड़ी और नशीली थी, मानो किसी रहस्य को अपने भीतर छुपाए हुए हों। उसकी आँखों की गहराई ऐसी थी कि जो एक बार देखे, उसमें खो जाने को मजबूर हो जाए। ये आँखें उसकी भावनाओं का आईना थी। उसका व्यक्तित्व उसकी बड़ी-बड़ी नशीली आँखों से झलक रहा था । जब वह बात कर रही थी , तो उसकी आँखें बोल रही थी
उसके गाल गोलाकार थे जैसे किसी चित्रकार ने बड़ी मेहनत से उन्हें उकेरा हो। इन गालों पर हल्की गुलाबी आभा उन्हें और भी आकर्षक बना रही थी । वह बात करते हुए मुस्कुरा रही थी जिसके कारण उसके गालों में डिंपल पड़ रहे थे जो उसके चेहरे को और भी मधुर बना रहे थे ।
उसके घुंघराले केश उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देते थे । ये बाल काले बादलों की तरह घने और चमकदार थे । जो हवा में लहराते हुए उसकी जीवंतता और उत्साह को दर्शाते थे । हर घुंघराला बाल उसकी ऊर्जा और उसके व्यक्तित्व की कहानी कह रहा था ।
उसकी त्वचा में एक खास चमक थी , जो उसकी सहजता और आत्मविश्वास का प्रतीक थी उसका व्यक्तित्व ऐसा था कि जब वह किसी से मिलती तो अपनी सादगी और शालीनता से उसे प्रभावित कर देती थी ।
ना सिर्फ उसकी शारीरिक सुंदरता बल्कि उसकी ऊर्जा और सकारात्मकता में भी एक खास छाप थी उसकी हर अदा में एक नजाकत थी और उसका सौंदर्य केवल बाहरी नहीं, बल्कि उसके दिल और आत्मा से झलकता था
वो हँस रही थी उससे चारों ओर का माहौल और भी खुशनुमा हो गया था । उसकी हँसी न केवल मधुर थी बल्कि उसमें एक मासूमियत और ईमानदारी भी झलक रही थी ।
उसकी उपस्थिति से ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने प्रकृति के सबसे सुंदर रंगों से उसे गढ़ा हो। उसकी हर अदा में सादगी और भव्यता का अनूठा संगम है। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वो स्वर्ग की अप्सरा हो , रास्ता भटक गई हो और इस पृथ्वी लोक में आ गई हो। उसके चेहरे पर हल्की घबराहट थी, और हाथ में एक भारी बैग था। यह बैग शायद किसी प्रोजेक्ट का हिस्सा था।
आर्यन मजाक के मूड में लग रहा था। बोह लड़की से मुस्कराते हुए बोला ,"यहाँ रास्ते नहीं होते।ऊबर खबर पथरीली पगडंडिया होती हैं। यहाँ लोग अपने रास्ते खुद बनाते हैं। जरा से भटके तो आप कंही से कंही पहुंच सकते है। " मैं आपको पहाड़ी रास्तों पर एक कविता सुनाता हूँ। और आर्यन कविता सुनाने लगा
यहाँ रास्ते नहीं, बस सपने बिछे हैं,
पगडंडियाँ पथरीली, पत्थरों में सिले हैं।
हर मोड़ पर एक दास्तां कहती,
खुद से लड़ने का जज्बा देती।
ऊँचाइयों से झांकती गहरी खाइयाँ,
जैसे सवाल पूछें, जीवन की परछाइयाँ।
जरा सा भटको तो खो जाओगे,
पर मंजिल के बिना कहाँ ठहर पाओगे।
यहाँ कदम नहीं, हौसले चलते हैं,
पत्थरों के बीच रास्ते ढलते हैं।
जंगली फूलों की खुशबू है साथी,
आसमान झुका जैसे देता हो छाती।
पथरीले टुकड़े चुभते हैं पैरों में,
पर हर कदम एक नई रोशनी है सिरों में।
यहाँ लोग राहें नहीं खोजते,
अपने सपनों से मंजिलें संजोते।
तो चलो, चलो इन पहाड़ी रास्तों पर,
जहाँ हर कदम है खुद से मिलने का सफर।
लड़की झुंझलाई , हल्की सी गुस्सा हुई और थोड़ी हैरान हुई, लेकिन फिर उसने उसकी बातों को समझा और कहा "मेरा नाम श्रुति है, मैं यहाँ एक प्रोजेक्ट के लिए आई हूँ। मुझे गाँव तक पहुँचना है। अभी फिलहाल आप मुझे गावं जाने का रास्ता बता दे "
आर्यन ने इशारे से रास्ता दिखाते हुए कहा, "अगर तुम्हें जल्दी करनी है तो उस रास्ते पर जाओ, लेकिन अगर इस जगह को समझना है तो थोड़ा समय निकालो।"
श्रुति उसकी बातों से प्रभावित हुई, और उसने कुछ पल रुके हुए आर्यन को देखा। उसकी सरलता और शांति ने उसे भीतर तक छुआ। "और आपका नाम?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा।
"आर्यन," उसने आत्मविश्वास से जवाब दिया।
श्रुति ने पूछा ," आप क्या करते हो ?'
में एक कलाकार हूँ जो अपने जीवन के हर पहलू को प्रकृति के आसपास केंद्रित करता हूँ।
श्रुति को आर्यन की पेंटिंग्स ने हैरान कर दिया। वह प्रकृति को इतनी बारीकी से चित्रित करता था, जैसे वह हर एक दृश्य को अपने अंदर जीता था। "तुम्हारे चित्र अद्भुत हैं," श्रुति ने कहा।
आर्यन ने विनम्रता से जवाब दिया, "यह सब तो बस प्रकृति की देन है। मैं उसे कैनवास पर उतारता हूँ।"
श्रुति ने महसूस किया कि आर्यन की कला उसकी आत्मा की गहराई से जुड़ी थी, लेकिन कहीं न कहीं उसकी आँखों में एक खालीपन भी था। यह खालीपन एक संकेत था कि दुनिया में कोई और जगह तलाश रहा था।"
