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Madhu Vashishta

Action Inspirational

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Madhu Vashishta

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दहेज

दहेज

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नीता की शादी को अभी साल भर भी नहीं हुआ था। उसके पति विनय दिल्ली में ही सरकारी ऑफिसर लगे हुए थे। नीता के पिता भी दिल्ली सरकार में बहुत ऊंचे पद पर ही लगे हुए थे। उसका भाई भी बहुत अच्छे पैकेज पर लगा हुआ था। नीता के पिता की इच्छा थी कि नीता की शादी किसी अच्छे सरकारी ऑफिसर से ही की जाए। नीता ने भी बी.ए./ बी.ऐड किया हुआ था और वह सर्वगुण संपन्न भी थी।


     उसके ससुराल में उसके सास और ससुर की अतिरिक्त एक अविवाहित ननद भी थी। उसके ससुर भी सरकारी विभाग में अच्छी पोस्ट पर ही थे। विवाह के समय खानदान और परंपरा का ध्यान रखते हुए ससुराल पक्ष से रिवाज स्वरूप जो सामान की इच्छा की गई थी नीता के पिता द्वारा दहेज में वह सारा सामान दे दिया गया था।


ऐसा नहीं कि नीता को ससुराल में तंग किया जाता हो या कि उसको और दहेज लाने के लिए प्रताड़ित किया जाता हो। ऐसा कुछ भी नहीं था। क्योंकि नीता घर की इकलौती बेटी थी इसलिए उसके मायके से भी यदा-कदा उपहार आते ही रहते थे।


समस्या सिर्फ तब हुई जबकि उसकी बुआ सास और चाचा ससुर के भी बेटे का विवाह हुआ। विवाहोपरांत

उनके बेटों को भी दहेज में अच्छी खासी रकम और लेटेस्ट बड़ी गाड़ियां भी मिलीं।


विवाह से आने के बाद अब घर में अधिकतर उन दोनों के बेटों को मिले हुए दहेज की ही चर्चा होती रहती थी। नीता कितना भी इन बातों में खुद को ना उलझाने की कोशिश करती थी लेकिन फिर भी बिना वजह के उनके दहेज को लेकर की गई तारीफों से उसका मन खराब हो ही जाता था। उसे हमेशा ऐसा लगता था कि इस तरह की बातें करके वे लोग उसे नीचा दिखाना चाहते हैं। उसकी ननद रानी भी अब अक्सर नीता को सुनाते हुए कहती थी कि बुआ जी का बेटा तो सरकारी क्लर्क के ही पद पर है फिर भी उसके ससुराल से गाड़ी हमारे भाई को मिली हुई गाड़ी से अच्छी आई है। चाचा जी का बेटा तो सरकारी ऑफिसर भी नहीं है लेकिन फिर भी उसके ससुराल से कितना कैश मिला है। हालांकि इन बातों को बार-बार दोहराने का क्या फायदा? शायद नीता के चेहरे पर इन बातों को सुनने से कोई रंग ही आता होगा, जो कि उसकी सासू मां और ननद रानी ने उसकी दुखती रग समझ कर पकड़ ली थी और जब भी उनका मन करता वह इस तरह की बातें करने लग जातीं थी। हालांकि उस समय कहने के लिए यह लोग कट्टर दहेज विरोधी थे और नीता के पिता ने सारा सामान केवल परंपरा और और अपनी सामर्थ्यानुसार उपहार स्वरूप दिया था। 


       उस दिन तो हद ही हो गई जबकि सासु मां ने घर में अपनी दो सहेलियों के सामने ही ऐसी बातें करनी शुरू कर दी। नीता सासू मां और उनकी दो सहेलियों को चाय देने के लिए ड्राइंग रूम में आई थी तो उसकी सासू मां उनको सुना रही थी कि उसके देवर और ननद के बेटे को इतना दहेज मिला है कि पूछो मत! मेरा बेटा तो इनसे बड़ा अफसर ही है लेकिन फिर भी हमारे तो उनका पासंग भर भी दहेज नहीं आया। नीता को जाने क्यों आज यह सब सुनकर बहुत गुस्सा आया और उसने सबके सामने ही बोला मम्मी जी मेरे पापा ने तो मेरे लिए कोई अच्छा घर और अच्छा लड़का ही ढूंढना था। उस वक्त तो आपने इस तरह के सामान की इच्छा जाहिर नहीं की थी अब यह आपकी ही गलती है ।आप अपनी सारी इच्छाएं उन्हें बतला देती, अगर वे दे सकते होते तो दे देते अन्यथा आप अपने लड़के को कहीं और बेच देतीं।


ऐसा कहकर वह गुस्से में कमरे से बाहर निकल गई, हालांकि उसे तो उम्मीद थी कि इसके बाद घर में कोई बहुत बड़ा तूफान आएगा या-----? लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ इसके विपरीत सासू मां खुद कमरे में आई और नीता जो कि अपने कमरे में बैठ कर रो रही थी, उस से बोलीं, हमारा यह मतलब बिल्कुल नहीं था। हम तो यूं ही बातें ही करते थे तुम्हारे मन को इससे दुख पहुंचा इसके लिए तो हम खुद अपनी गलती मानते हैं। ऐसा सुनकर रोती हुई नीता अपनी सासू मां के गले लग गई । अगर यह केवल गलतफहमी ही थी तो दूर हो गई। उसके बाद कभी किसी ने कुछ नहीं कहा।




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