Avinash Agnihotri

Drama Tragedy Classics

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Avinash Agnihotri

Drama Tragedy Classics

देश की माटी

देश की माटी

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पिछले कुछ दिनों से वे अपना हर पल अपने बहु और पोते के साथ ही गुजार रहे थे।ताकि उनके साथ बीती इन मीठी यादों के सहारे वे अपनी आगे की जिंदगी खुशी से काट सके।

अपने बेटे व परिवार की निकटता से उन दोनों के चेहरे ऐसे खिले है, मानो जैसे बहार में किसी सूखे ठूट पर फिर नई कोपलों की आमद हुई हो।

फिर आज घर के बगीचे में पोते को खिलाती,अपनी माँ से निखिल बोला।

क्या माँ आप भी न देखिए तो सही मुन्ना मिट्टी खा रहा है।आप शायद जानती नही इसे धूल मिट्टी से इंफेक्शन है। उसकी बात सुन माँ उससे मुस्कराते हुए बोली,घबरा मत निखिल ये अपने देश की माटी है।

 इसमें भी माँ सी ममता है,जो अपने बच्चे को बीमार नही करती। तभी तो यहां भगवानों ने भी अपने बचपन मे इसे खाया है।

और फिर कुछ ही दिनों में तुम लोग वापस विदेश चले जाओगे। फिर क्या पता अब हमारे रहते तुम्हारा यहां आना हो न हो। तब मुन्ने को यहां की माटी का स्वाद ही परदेस में अपने वतन और इसके बूढ़े दादा दादी की याद दिलाता रहेगा।


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