देहाती
देहाती
दोनों बेटों के व्यपार में व्यस्त होने से अब एक ही घर मे रहते हुए भी वो मातापिता को समय न दे पा रहे थे। अतः माता पिता ने भी इस समस्या के हलस्वरूप सुबह शाम मंदिर जाना अपनी नित्य दिनचर्या में शामिल कर लिया।ताकि ये पहाड़ से लगने वाले दिन को आसानी से काटा जा सके।
फिर उस दिन जब अपने पिता के शरीर पर चोट के निशान देख उनके बेटों ने माँ से इस बारे में पूछा।तब माँ ने रुंधे गले से बताया कि आज एक अज्ञात वाहन ने पीछे से हमे टक्कर मार दी जिसमे तुम्हारे पापा बुरी तरह घायल हो गए।
और गिरने पर कुछ पल को तो मै भी बेसुध हो गई।
पर जब होश आया तो देखा कुछ शहरी युवक हमारी मदद करने की बजाए ,हमारे चारों ओर खड़े हो कर अपने अपने मोबाईल से हमारी वीडियो बना रहे थे।
और बाकी तमाशबीन बने तमाशा देख रहे थे।उनके इस कृत्य ने जैसे हमारी वेदना और बढ़ा दी।
की तभी कुछ देहाती जो शायद अपनी फसल बेच वहां से गुजर रहे थे ।
उन्होंने हमें देख अपने ट्रैक्टर ट्राली में बैठाया और पास के एक अस्पताल से उपचार करा अभी घर के दरवाजे तक छोड़ गए।
बड़े भले व समझदार थे बेचारे,मैंने जब इलाज व दवा के पैसे उन्हें देने चाहे तो बोले। "माई बाप से भी कहीं इलाज के पैसे बिटवा लेवत है" और मुस्कुरा कर चल दिए।
