डरावना सत्य
डरावना सत्य
नहीं पापा इन ताई जी को जाने को कह दो हम कभी गांव नहीं जाएंगे और ना ही मैं अपनी छोटी बिन्नी को ले जाने दूंगी ।पापा इन्होंने और दादी मां ने ही मुझे मारा था। ऐसा बोलकर प्यार करती हुई रजनी ताई को गुड्डी ने दूर झिड़क दिया।
4 वर्ष की नन्ही गुड्डी के मुंह से ऐसा सुनकर सब हैरान हो गए। यूं भी गांव से आए हुए उन्हें लगभग 6 साल हो गए और गुड्डी को लेकर तो वह गांव लगभग 2 साल पहले ही दीपावली पर गए थे। फिर गुड्डी को किसने कब मारा------!
गुड्डी तो बाहर चली गई थी लेकिन-------! पाठकगण आइए आपको इस परिवार के बारे में कुछ जानकारी दूं। गांव में रजत चौधरी (गुड्डी के दादाजी) बहुत प्रभावशाली और अमीर व्यक्ति थे। उनके दो बेटे दिनेश्वर चौधरी और राजेश्वर चौधरी की शादी भी पास के गांवों के बड़े जमीदार चौधरियों के ही हुई थी। दिनेश्वर चौधरी के 2 पुत्र हुए। तीसरी बार जब उनकी पत्नी रजनी गर्भवती हुई तो समीप के अस्पताल में ही लिंग जांच करवाने पर पता पड़ा कि उनको अब के पुत्री रत्न की प्राप्ति होने वाली है क्योंकि गांव के चौधरियों की नाक का प्रश्न था इसलिए बड़ी चौधराइन और रजनी की भी सहमति से गर्भपात करवा दिया गया।
यह सब देख कर छोटी बहू प्रिया बेहद घबरा गई और किसी तरह से अपने पति राजेश्वर चौधरी (यानि कि गुड्डी के पिता) को लेकर शहर में आ गई। शहर में प्रिया की बहन और उनके पति रहते थे उन्हीं की कोशिशों से राजेश्वर को शहर में नौकरी मिल गई थी। राजेश्वर चौधरी ने भी अब शहर में ही नौकरी ज्वाइन कर ली थी। यहीं शहर में ही उनके घर में गुड्डी का जन्म हुआ। लड़की होने की खबर सुनकर ना तो रजत चौधरी ने उन्हें गांव में बुलाया और ना ही उनसे मिलने के लिए आए थे। लगभग 2 साल पहले ही जब गुड्डी बहुत छोटी थी तब दिनेश्वर चौधरी के पुत्र के जन्मदिन पर मंदिर में जगराता रखा गया था और इसी उपलक्ष्य में चौधरी परिवार ने मंदिर में ही एक मूर्ति की स्थापना की थी इसलिए राजेश्वर चौधरी को भी परिवार सहित गांव जाना पड़ा।
गुड्डी तो तब भी वह वहां पर अपनी दादी और ताई जी किसी के भी पास में नहीं जा रही थी। वह तो वहां पर सिर्फ रो रोकर बीमार ही हो रही थी इसी कारण वह लोग गांव में 1 सप्ताह भी नहीं रुके थे।
गांव में उद्दंडता की सारी सीमाओं को पार करते हुए दिनेश्वर जी के दोनों किशोर पुत्र गांव में बाइक लेकर करतब दिखाते यूं ही घूमते रहते थे। उनसे तंग होने वाले ग्रामवासी भी रजत चौधरी के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सामने उनके पोतों की शिकायत भी नहीं लगा पाते थे। दिन प्रतिदिन उनकी उद्दंडताएं सीमा को पार करे जा रही थी परंतु उन्हें घर में दादा दादी और अपने पिता की पूर्णतया शह प्राप्त थी। उन दोनों किशोरों की उद्दंडता पर भी दादा को बहुत गर्व होता था।
इंसान कुछ सोचता है लेकिन विधाता को तो कुछ और ही मंजूर था। लगभग 6 महीने पहले जब वह दोनों किशोर गांव के पास रेलवे क्रॉसिंग पर बाइक से अपने करतब दिखा रहे थे तो मालूम नहीं कैसे अचानक से द्रुतगामी रेल आ गई और वह दोनों किशोरों और बाइक को रोंदते हुए उन दोनों की जीवन लीला को समाप्त कर गई ।
उनके जीवन के साथ रजत चौधरी के घर की रोशनी भी चली गई थी। जंगल की आग के जैसे जब यह खबर पूरे गांव में पहुंची। जिस किसी ने भी यह खबर सुनी वह बेहद दुखी हुआ। प्रिया और राजेश्वर भी यह खबर सुनकर गुड्डी को शहर में ही रहने वाली अपनी मौसी के पास (यानि कि प्रिया की बहन) छोड़कर गांव गई थी। पूरे गांव में मातम पसरा हुआ था।
अब लगभग 3 महीने पहले ही प्रिया ने दूसरी पुत्री को जन्म दिया था। सासू मां भी शहर ही आ गई थी और अब वह राजेश्वर जी पर दबाव डाल रही थी चाहे तो वह भी अपनी नौकरी छोड़कर गांव में आ जाए या अपनी एक पुत्री को उन्हें गांव में ले जाने दे। दोनों किशोरों की मृत्यु के बाद गांव में इतनी बड़ी हवेली अब खाली-खाली लगती थी। पुत्री के समय गर्भपात करवाने के कारण शायद आई कुछ कमप्लीकेशन के कारण रजनी भी अब फिर मां नहीं बन सकती थी।
घर में फैले दुख अकेलापन को दूर करने का चौधरी परिवार को अब यही रास्ता दिख रहा था कि उनके बेटे राजेश्वर चौधरी का परिवार अब गांव में वापस आ जाए। वे अब किसी भी सूरत में उनको या उनकी एक बेटी को गांव में अपने साथ लिए बिना नहीं जाना चाहते थे।
राजेश्वर चौधरी गुड्डी को उनके साथ भेजने की सोचते इससे पहले ही गुड्डी गुस्से में भरी चिल्लाती हुई आई और बोली पापा इन लोगों को यहां से जाने को कह दो इन लोगों ने ही मुझे मारा था।ये लड़कियों को मार देते हैं। मैं अपनी छोटी बिन्नी को भी नहीं ले जाने दूंगी यह दोनों इसे भी मार देंगी,
रोती रोती गुड्डी रजनी ताई और सासू मां को धकियाती जा रही थी।प्रिया ने किसी तरह से गुड्डी को संभाला और बिन्नी के पास अपने कमरे में ले आई। सब चुप थे। रजनी और सासू मां को याद आ रहा था वह समय जब लिंग जांच करवाने के पश्चात उन्होंने डॉक्टर के मना करने के बावजूद भी कि अब काफी समय हो चुका है, गर्भ में बच्चा अब काफी बड़ा हो चुका है अब गर्भपात करवाना खतरे से खाली नहीं होगा, यह सुनकर भी किसी की ना सुनते हुए उन्होंने गर्भपात करवा कर ही दम लिया। उस समय की आई हुई किसी कंपलिकेशन के कारण ही रजनी भाभी मां न बन सकी। तो क्या गुड्डी--------- वही बेटी है?
ऐसा भी तो हो सकता है कि जब गुड्डी उनके साथ गांव गई थी तब उन लोगों के व्यवहार में गुड्डी को कुछ लगा हो जो वह भूल नहीं पाई पर------------!
पाठकगण, यह किस्सा सोचने में डरावना तो जरूर है लेकिन यह भी नितांत सत्य ही है कि कुछ भी बुरा करो यह तो मानना ही पड़ेगा कि वह सब परमात्मा की नजर से नहीं छिप सकता और फल हमेशा मिलता ही है।