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Ira Johri

Inspirational

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Ira Johri

Inspirational

ढलती साँझ

ढलती साँझ

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कहीं दूर जब दिन ढल जाये ,

चाँद सी दुल्हन बदन छुपाये ।

चुपके से आये, 

चुपके से आये ।


बहुत प्रिय है उनको यह गाना। गृहस्थ जीवन की शुरुआत के समय से बच्चों को बड़ा कर उनके बच्चों के बच्चों को भी सुखी गृहस्थ जीवन का आशीर्वाद देते हुये आज फिर यह गाना धीरे से वो हमारे कानों मे गुनगुना गये। गाना सुनते ही कभी दिल में हिलोर लेने वाली रोमांचक लहरें अब सोचने लगती हैं कि पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर पहले कौन सुबह का सूर्योदय देख साँझ का अन्तिम सूर्यास्त पर आँख बन्द करे।

आँख बन्द करने पर गुजरा समय जीवन रंगमंच पर चलचित्र की तरह पटल पर दिखने लगता है। जीवन के उतार चढ़ाव पर मज़बूत खम्भे की तरह सदा सहारा देने वाले साथी के अस्वस्थ होने पर बेटे वो मज़बूत छत बन कर सामने आ गये जिससे दुख व परेशानियों की कोई किरण खम्बे पर पड़ ही न पाये ।सबके संग हँसते खेलते जीवन की सांझ भी आज हसीन लगने लगी है।

आज हमारे छियासिवें वर्षगाँठ पर बच्चों द्वारा यह पूछना कि “माँ पापा आप लोग खुश तो हैं कोई भी इच्छा हो बताइए हम पूरी करने की कोशिश करेंगे। हम चाहते हैं कि आपकी हर इच्छा पूर्ण हो।" अन्दर तक कोई अनोखी खुशी दे गया।

बच्चे तो बच्चे अब उनके भी बच्चे हमारी हर इच्छा पूरी करने में लगे रहते हैं। साथियों की बातें सुन कर पहले जितना डर लगता था अपने द्वारा दिये गये संस्कारों की वजह से अब मन उतना ही सुकून से भरा रहता है। अब तो बस दिल यही करता है जीवन की साँझ बेला में आँख मुंदने का समय जब भी आये सुकून से सबके सामने हँसते बोलते समय आये। नन्हे मुन्ने बाल गोपाल सब की किलकारियों से घर भरा हो।

“दादी बाबा !नाना नानी ! कहाँ खोये हुये हैं आप लोग। लीजिए आपके मन पसन्द रसगुल्ले।” सुन कर तन्द्रा भंग हुई। सामने रसगुल्लों को देख नाती नातिन पोते पोतियाँ सभी बच्चों के साथ मिल कर हम मजे से जीवन की मिठास का आनन्द लेने में हम व्यस्त हो गये।



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