डायरी दिनांक १५/११/२०२१
डायरी दिनांक १५/११/२०२१
शाम के पांच बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं ।मन्नू भंडारी आधुनिक युग की सबसे प्रसिद्ध कहानीकारों में से एक हैं। उनकी कहानियां जीवन के पलों पर आधारित होती हैं। अक्सर बहुत छोटे घटनाक्रम पर होती हैं जो कि ज्यादातर कहानीकारों के विचार में ही नहीं आते। छोटी छोटी बातों में गहरी बात निकाल लेना मन्नू भंडारी जी की विशेषता रही है। उनकी कहानी की सबसे बड़ी विशेषता आम लोगों को आसानी से समझ में आ जाना रहा है।
हमारे इंटरमीडिएट के पाठ्यक्रम में मन्नू भंडारी जी की कहानी सती थी। यात्रा के दौरान किस तरह धोखाधड़ी का खेल होता है, इन बातों को स्पष्ट करती कहानी है। हालांकि आजकल तो धोखे के और भी तरीके बन गये हैं।
उत्तर प्रदेश की परीक्षाओं में एक जरा गलत बात रही है। परीक्षकों की पसंद हमेशा पुराने रचनाकार रहे हैं। ज्यादातर विद्यार्थी तो काव्य में कबीर, सूर और तुलसी से आगे तथा कहानियों में प्रेमचंद्र तथा जयशंकर प्रसाद जी से आगे पढते ही नहीं थे। बिहारी तथा भीष्म साहनी तक पढने बाला खुद को तीस मार खा समझने लगता था। वास्तव में यह हमारा साहित्य के प्रति कम रुझान का परिणाम है।
मुझे बचपन से ही साहित्य पढने का बड़ा चाव रहा। तथा हिंदी साहित्य की पूरी पुस्तकों का मैंने अध्ययन किया था।
आज ज्ञात हुआ कि मन्नू भंडारी जी इस असार संसार को त्याग कर चली गयी हैं। उनकी आयु ९० वर्ष बतायी जाती है।
मैं पूर्ण सम्मान के साथ आदरणीया मन्नू भंडारी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूः। ईश्वर से प्रार्थना करता हूः कि उन्हें दिव्य लोकों की प्राप्ति करायें।
