"द्दादा"#16दिन *लालबत्ती"
"द्दादा"#16दिन *लालबत्ती"
हमार द्दादा ठाकुर शुभेन्दु सिहं गाँव में अपनी खेती-बाड़ी में लगे रहते थे।छोटी सी झोपड़ी और एक जोड़ी बैल कुछ गाय-भैंस और एक साइकिल बस बडे सकून से द्दादा की जिन्दगी गुजर रही थी। एक दिन हमारे गाँव में कुछ नेता टाइप लोग आये हमारे द्दादा को खेत की मेंढ़ पर ही बैठा कर कुछ ज्ञान की चर्चा कर गए द्दादा भी दो-पांच कक्षा पढ़े हुए थे।
द्दादा ने उन नेता लोग के बताये हिसाब से कुछ लोगों को इकट्ठा किया और पास के तहसील स्तर के उन नेता लोगों के आफिस गए वहाँ उन लोगों ने अपनी पार्टी का सदस्य बनाया। गाँव के लोगो के बीच वो जगह-जगह अपने घर में ही बैठकें करने लगे लोगों को इकट्ठा करना उन को अपने गाँव की तरक्की की बातें बताना। कैसे हम अपनी पंचायत बनाऐ और पांच पंच रहे एक सरपंच रहेगा चुनाव कर के जो जीतेगा वही पूरी पंचायत का काम देखेंगा।
द्दादा की खेती काम ठीक से नहीं कर पा रहे थे ठकुराइन ने द्दादा से कहा क्या कर रहे हो,अपनी खेती-बाड़ी का काम पिछड़त है,द्दादा ने अपने दो छोटे भाईयों को कहा तुम दोनों खेत-बाड़ी काम जिम्मेदारी से संभाल लियो।
अरे ठकुराइन हम अगर सरपंच या गाँव की कृषि उपाज मंड़ी समिति के अध्यक्ष बन गए न तो हमें सरकार से#लालबत्ती वाली गाड़ी मिल जावें है।
फिर देखना कैसन अपना जलवा रहे है, गाँव में, तुम फिक्र नाही करो उन्होंने अपने गाँव के कुछ आदमी को पार्टी की तरफ से पंचायत के चुनाव में खड़ा कर दिया, अपोज़िशन पार्टी के भी लोगों ने कोशिश की मगर जिसकी सरकार राज्य में थी उसके सरपंच जीते।
अब द्दादा का बड़ा दबदबा हो गया। वो भी विधायक के बंगले पर आने-जाने लगे कभी दस-बीस लोगों को गाड़ी में लेकर जाने लगे,कभी जिले में अपने गाँव के लोगों के काम के लिए अफसरों से मिलने जाना।बस द्दादा की नेता गिरी चल निकली।राजधानी में भी विधायकों के पास भी अपने गाँव की समस्या लेकर मिलने जाना।
द्दादा के यहाँ पैसों की रेलमपेल हो गई। पंचायत भवन के लिए पैसा आने लगा, गाँव में स्कूल बनवाने के लिए सरकार से पैसा मिलने लगा, शौचालयों बनवाने की जिम्मेदारी का काम पंचायत को दिया गया
द्दादा का घर भी दो-तीन मंज़िलें बन गया था। कभी गाँव में छोटा सा मंदिर हुआ करता था। द्दादा ने खूब बड़ा मंदिर बनवा दिया। ठकुराइन हर कभी यज्ञ करवाती, कभी भजन मंडली बुलाई जाती उनके पोते-पोतियों के मुंडन कार्यक्रम में बड़े भोज का आयोजन होता, पूरे गाँव को न्यौता दिया जाता।
कुछ दिनों बाद द्दादा को #कृषिउपज मंडी समिति का अध्यक्ष बना दिया गया था। #कृषि उपज मंडी समिति की ओर से लालबत्तीधारी गाड़ी अध्यक्ष महोदय लिए आ खड़ी हुई।
द्दादा का आस-पास के गाँव में भी अच्छी धाक हो गई। नेता नीचे तक लोगों की पकड़ रखतें हैं और छोटी पंचायत तक में भ्रष्टाचारियों का भी बोलबाला कर देतें है, छोटे-छोटे नेताओं को, लालबत्तीधारी गाड़ियों का क्रेज बना दिया जाता है।