दबंगई
दबंगई
थाने में बैठे-बैठे चुलबुल पांडे सीटियाँ बजा-बजा कर टाइम पास कर रहे थे तो मरियल से होमगार्ड घसीटा ने उन्हें चढ़ाते हुए कहा, 'दरोगा जी इतना हट्टा-कट्टा शरीर पाया है तो जाकर जालिम सिंह का घमंड चूर-चूर क्यों नहीं करते हो?'
'ये जालिम सिंह कौन हुआ भला?' चुलबुल पांडे सीटियाँ बजाते हुए बोला।
'छम्मक-छल्लो अखाड़े का मुख्य पहलवान जालिम सिंह।' होमगार्ड ने बताया।
'छम्मक-छल्लो अखाडा? ये अखाड़े का नाम है या किसी वैराइटी शो का नाम?' चुलबुल पांडे ने हंसकर पूछा।
'अखाड़े के नाम पर न जाओ, जालिम सिंह के चैलेंज पर जाओ दरोगा जी.....' सिपाही बोला।
'क्या चैलेंज है उसका?' चुलबुल पांडे ने पूछा।
'उसका कहना है दुनिया में कोई मर्द जो बचा है जो उसे हरा सके।'
'अच्छा, तो इसमें हमारा क्या लेना देना?'
'आपका ही तो लेना-देना है, मैंने आज तक आप जैसा जवां मर्द दबंग इंसान नहीं देखा, जाओ टेटुआ दबा दो बड़बोले का।
'बात तो सही है हमारे रहते इस शहर में दूसरा दबंग नहीं रह सकता है, कर दो कल उससे हमरी कुश्ती फिक्स।' चुलबुल पांडे गुर्रा कर बोला।
अगले दिन
साढ़े छह फ़ीट लंबे मशहूर पहलवान जालिम सिंह के सामने पाँच फ़ीट आठ इंच लंबा चुलबुल पांडे एक बोने से ज्यादा नहीं लग रहा था। चुलबुल पांडे के चेहरे पर चिंता के बादल थे लेकिन वो खुद को निश्चिन्त दिखा रहा था। जल्दी ही कुश्ती शुरू हुई और और वही हुआ जिसका डर था, जालिम सिंह ने एक ही दांव में चुलबुल पांडे को चित्त कर दिया और उसके बाद धोबी की तरह धोया।
हाथ-पैर टूटे चुलबुल पांडे को कुछ हद तक ठीक होने में १० दिन लगे। ठीक होते ही सबसे पहले उस मरियल हवलदार की खबर ली और उसे समझाया की जालिम सिंह कांड के बारे में किसी को नहीं बताएगा।
होमगार्ड ने कसम खाई लेकिन उसके कसम खाने से पहले ही आधे शहर को खबर लग चुकी थी कि चुलबुल पांडे कोई दबंग नहीं था शहर का असली दबंग जालिम सिंह था।
