दाग अच्छे हैं
दाग अच्छे हैं
कल धरम ( मेरी शाम की खान बनाने वाली आई तो बड़ी प्रसन्न लग रही थी, मैंने पूछा क्या हुआ ? लाइन में लगी थी तो पैसे मिल गए क्या ? ना दीदी ,वो तो तीसरो दिन हो गयो आज भी न निकरो,
फिर ? हंस क्यूं रही है ?
वो दीदी कालो धन निकल रहो है जाही से और उसने फिर खीसें निपोर दी।
तो ? निकल रहो है तो तुझे क्या ? घर आके तुझे कोई 10, 5 हजार दे गया क्या ?
इस पर वो और जोर से हंस पड़ी न जी, वो तो सब खुस दीखे हैं जाही से---
अच्छा यहाँ बैठो, मैं समझाती हूँ, की मोदी जी क्या बात न समझ पाये
देख मोदीजी को ग़लतफ़हमी थी की काला धन नुक्सान करता है, लोग गद्दे में भर लेते हैं , तिजोरी में भर लेते हैं,
ऐसा थोड़े ही होता है पगली। वो तो थोड़ी देर को,
जब जरूरत होती है वहां से निकाल भी तो सकते हैं
और जिसके पास काला धन होता है उसका मन बहुत उजला हो जाता है। अब मान ले मेरे पास कोई पैसा नहीं है तो तू मुझ से पैसा कैसे मांगेगी ? है न, पर अगर मेरे पास 1 करोड़ की काली कम
ाई है तो मैं तुझे कर्ज भी दे दूँगी, वापस भी नहीं मांगूंगी, या तो कहेगी तो तुझे कुकर, बेड आदि भी, अपना पुराना देकर, नए ले लूंगी
बिटिया की शादी में 10,हजार की मदद भी
अब सरकार थोड़े ही काला धन जब्त कर के तुझे देने आएगी।
फिर काले धन वाले चार गाडी खरीदेंगे तो चार ड्राइवर भी रखेंगे तो ऐसे चार गरीबों को रोजगार भी मिला
बस ऐसे कई फायदे थे जो गरीबों को मिलते थे, सरकार ने बंद कर दिए नजितना बड़ा बेईमान उतना उदार और सुन इस काले धन की वजह से किसी बेटी को उसकी शादी में200 करोड़ के गहने और हिस्सा मिल गया। अब ईमानदार ये थोड़े ही करता। काले धन के कारण लोग परोपकारी हो रहे थे, सोचो ईमानदार आदमी 100 रुपये किलो मात्र सुन कर आधे घंटे बहस करता और 80 में लेता पर काला वाला तो 200 में भी ले लेता। अब तू ही बता काला धन हम लोगों के पास ही रहता तो तू फायदे में रहती की सरकार के पास पहुँच जाने में ?
वो थोड़ी असमंजस में दिखी फिर हंस के बोली क्या दीदी आप भी दिमाग घुमा दियो अब खाना बताओगी ? क्या बनाएं।