दादू
दादू
वो छोटा मासूम सा बच्चा उस रात अपने कमरे में एक लंबी सफ़ेद दाढ़ी वाले बूढ़े आदमी को देखकर डर गया था, वो बूढ़ा आदमी जिसने एक लाल कोट पहना था और अपनी पीठ पर एक बड़ा सा थैला लटकाये हुए आधी रात को उसके छोटे से कमरे में घुसा चला आया था।
उस छोटे बच्चे ने ईश्वर से कभी कोई तोहफा नहीं मांगा था, उसके सपने भौतिकवादी नहीं थे।
वो बूढ़ा आदमी ज़रा थका थका सा दिख रहा था, शायद अपनी विश्वव्यापी लंबी यात्रा से थक गया होगा। वो छोटा बच्चा उसे " बूढ़े दादू" कहकर पुकारने लगा और जाकर उसकी पीठ खुजलाने लगा, फिर उस बच्चे ने अपनी छोटी छोटी मासूम हथेलियों से उसके पाँव दबाये जिससे वो बूढ़ा आदमी शांतचित होकर सो गया। वो मासूम सा बच्चा भी थोड़ी देर में उस बूढ़े आदमी की गोद में सो गया।
सुबह का शोर सुनकर बच्चा जागा तो किसी गाँव वाले से सुना कि कल रात एक देवदूत उसके गाँव में आसमान से उतर कर आया था, कुछ लोगों ने एक उड़ते हुए रथ को भी देखने का दावा किया जिसे दैवीय सुवर्णमृगों का एक झुण्ड खींच रहा था।