Pushpraj Singh Rajawat

Comedy

4.5  

Pushpraj Singh Rajawat

Comedy

नई अंग्रेजियत का पदार्पण

नई अंग्रेजियत का पदार्पण

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इसकी शुरुआत तब हुई थी जब दीदी ने पांच साल के बच्चे से कहा था, "हाथ धो कर अमिया खाओ वरना किटानू आ जायेंगे" वो बच्चा कीटाणु से परेशान न होकर इस बात से परेशान था की दीक्षा की किताब में कीटाणु लिखा था, आचार्यजी भी कीटाणु कहते हैं फिर दीदी किटानू क्यों कहती है?

मिट्टी से सने हांथ, चेहरे पर प्रश्नचिन्ह लिए वो बस आधे खाए हुए आम को विस्मयबोधक रूप से निहारते हुए, नहर किनारे लगे दशहरी के पेड़ के नीचे बैठ गया और चिल्लाया "धत तेरी गोबर।" वो पेड़ के नीचे इस आस में बैठा रहा की शायद कोई आम सर पर आ गिरे और वो पंचम के चौथे नियम का रचयिता बन जाए। 

आज उसी डेलिकेट अंग्रेजियत की बीमारी में जकड़े उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों को वो वयस्क हो चुका बालक जब एजुकेशन की जगह एडूकेशन बोलते देखता है तब विष्मयबोधक चिन्ह की जगह आंतरिक हास्यास्पद संवेदना का अनुभव करता है और उसका मन जोर से चिल्लाता है,

"धत तेरी गोबर"... 


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