मोहनजोदड़ो की इल्लियां
मोहनजोदड़ो की इल्लियां
एक समय की बात है, मोहनजोदड़ो के एक सुंदर गाँव में, एक अमरूद का एक बाग था। इस बाग में कई प्रकार की इल्लियां थीं - कुछ सफेद, कुछ हरी और कुछ भगवा। ये इल्लियां न केवल बाग की सुंदरता बढ़ाती थीं, बल्कि गाँव की खूबसूरती को भी निखारती थीं। इन इल्लियों का महत्व इसलिए भी था क्योंकि वे न केवल जरूरत भर का फल खाती थीं बल्कि लेशमात्र व्यर्थ नहीं करती थीं।गाँव वालों के लिए यह बाग जीवन का स्रोत था। हर सुबह, जब सूरज उगता, तो इस बाग में विभिन्न प्रकार के सुंदर मनोहर पंछियों की आवाजें सुनाई देती थीं। लोग यहां की खूबसूरती को देखकर आकर्षित होते और बाग में घूमने आते थे।
बाग में रहने वाले प्राणियों और जीवन यापन करने वाले मानवों के लिए इल्लियों की अहमियत अधिक थी। एक दिन, गाँव में टिड्डियों का एक झुंड आया। एक टिड्डे ने इन इल्लियों में रंग के नाम की फूट डाल दी। जिससे इल्लियों में रंग भेद पैदा हो गया और वो बंट गई। टिड्डियों का झुंड इन बंटी हुई इल्लियों को खा गया और अमरूद का बाग उजड़ गया। पंछियों का बसेरा भी खतम हो गया, मोहनजोदड़ो में अकाल पड़ा और पूरी सभ्यता समाप्त हो गई। इतिहास भूल गया कि मोहनजोदड़ो की सभ्यता के विनाश का कारण इन भगवा, सफेद और हरे रंग की इल्लियों की लड़ाई थी।