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Aarti Ayachit

Drama

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Aarti Ayachit

Drama

दादाजी चले पोते-संग बगिया

दादाजी चले पोते-संग बगिया

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तमाम उपायों के पश्चात शादी के दस साल बाद भी प्रदीप और ज्योति की जीवन बगिया कोई एक गुलाब खिलने से वंचित रह गई, पर वे पिताजी की सेवा जी-जान से करते, तनाव के कारण पैर सुन्न हो गए, तो चलने में असमर्थ। उन्हें लगता एक पोता हो, जो दादाजी कहकर पुकारें।

फिर भी दोनों अपनी व्यस्ततम जिंदगी में खुश रहने के लिए रोज अनाथाश्रम में बच्चों को गुलाब के पौधे बांटकर उन्हीं से लगवाते, खिले हुए गुलाबों को देख बच्चे बहुत खुश होते।

उनमें से एक गुलाब ने आकर पुकारा दादाजी, और "दादाजी चले पोते-संग बगिया।"


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