अध्याय – 10 लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। अध्याय – 10 लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
देवा ने अपने पुत्रमोह के आगे इंसाफ को तरजीह दी। देवा ने अपने पुत्रमोह के आगे इंसाफ को तरजीह दी।
उनमें से एक गुलाब ने आकर पुकारा दादाजी, और "दादाजी चले पोते-संग बगिया।" उनमें से एक गुलाब ने आकर पुकारा दादाजी, और "दादाजी चले पोते-संग बगिया।"
लड़कियों का क्या जो प्यार समझ के कपड़े उतारती रहीं और लड़के उंन्हे बाज़ारू समझ के उनके फ़ोटो लड़कियों का क्या जो प्यार समझ के कपड़े उतारती रहीं और लड़के उंन्हे बाज़ारू समझ के उन...
उसने मेरी तमाम गलतियों के बावजूद मुझे अपना लिया है। मेरे बच्चों को बाप और मुझे एक मुक्क उसने मेरी तमाम गलतियों के बावजूद मुझे अपना लिया है। मेरे बच्चों को बाप और मुझे ए...
पूरे दो सौ रुपये लूटकर ले गया और ऊपर से तमाम भद्दी-भद्दी गालियाँ उपहार में दे गया। पूरे दो सौ रुपये लूटकर ले गया और ऊपर से तमाम भद्दी-भद्दी गालियाँ उपहार में दे गय...