क्यों, उसके एक बोनी उड़ान भरने से पहले ही पंख काट दिए गए ? क्यों, उसके एक बोनी उड़ान भरने से पहले ही पंख काट दिए गए ?
अध्याय – 10 लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। अध्याय – 10 लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
अपनी दुनिया को बचा लिया या शायद बस अभी के लिए तो रोक ही लिया। अपनी दुनिया को बचा लिया या शायद बस अभी के लिए तो रोक ही लिया।
वह शाम को निकल पड़ी ठेकेदार से रकम वसूलना जो था। वह शाम को निकल पड़ी ठेकेदार से रकम वसूलना जो था।
शीनू ने मुस्कुराकर सिर हिलाया और अपनी जीत पर फूली नहीं समाई। शीनू ने मुस्कुराकर सिर हिलाया और अपनी जीत पर फूली नहीं समाई।
आखिर उनकी जिंदगी का इतना महत्वपूर्ण दिन इतना यादगार जो बन गया था। आखिर उनकी जिंदगी का इतना महत्वपूर्ण दिन इतना यादगार जो बन गया था।