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Gita Parihar

Drama

3  

Gita Parihar

Drama

बौनी उड़ान

बौनी उड़ान

3 mins
189

रुनझुन, हां, यही तो नाम था उसका। एक कस्बे उसके माता-पिता अपना खुद का एक छोटा-मोटा सेलून चलाया करते थे। पिता की नाई की दुकान थी और मां पार्लर चलाती थीं। रुनझुन ने जब 12वीं कक्षा पूरी कर ली तो उसे पास के शहर आगे पढ़ने के लिए भेज दिया गया। पिता साथ गए और रुनझुन के लिए एक कमरे की व्यवस्था कर आए। जिसमें वह खुद पकाती- खाती और बहुत ही कतर ब्योंत करके घर से आए हुए पैसों से गुजारा करती।

धीरे-धीरे ग्रेजुएशन पूरा हो गया। छुट्टियों में जब वह घर आई, तो मां और पिताजी ने कहा कि इस पैतृक व्यवसाय को ही आगे ले जाना चाहिए तो क्यों नहीं वह किसी ब्यूटी पार्लर में ट्रेनिंग कर ले ?

उसे भी यह बात उचित लगी। वह कानपुर आ गई। यहां उसे एक पार्लर के बारे में जानकारी मिली। उसे एक सहेली भी मिल गई। अब यह दोनों कमरा शेयर करने लगीं।

ट्रेनिंग पूरी होने के बाद जब घर लौटीं, तो उसे मां के पार्लर में कुछ ज्यादा आमदनी के आसार नजर नहीं आए। उसने मां को बताया कि कैसे बड़े शहरों में हजारों रुपए दे कर लोग पैडिक्योर और मेनीक्योर करवा लेते हैं जो हम घर में ही एड़िया रगड़ कर और नींबू घीस कर कर लेते हैं।

उसने मन बना लिया कि वह शहर जाएगी और वहीं किसी पार्लर में नौकरी करेगी।वह अभी तक वह पार्लर की हकीकत से रूबरू नहीं हुई थी। ज्यादा दिन नहीं लगे उसे यह समझने में कि जिस पार्लर में वह काम कर रही है वह पार्लर के नाम पर अनैतिक देह व्यापार का अड्डा है। उसने तुरंत वहां से नौकरी छोड़ दी। तब दूसरे पार्लर का दरवाजा देखा, लेकिन यहां भी वही ! बूढ़े, जवान कैसे भी पुरुष हो सबको मसाज के लिए तो जवान लड़की ही चाहिए।

दोनों सहेलियों ने फिर सोचा कि जब यहां रहना है और यहां की यही रीत है तो क्यों ना अपने को बचाते हुए हम अच्छी कमाई भी कर लें। फिर क्या था !वे ज्यादा से ज्यादा कस्टमर हाथ में लेने लगीं। देखते ही देखते दोनों के बैंक खातों में इतनी तो रकम जमा हो गई कि दोनों मिलकर एक फ्लैट ले सकती थीं। वे एक आदमी से मिली, जिसने खुद का परिचय प्रॉपर्टी डीलर के रूप में दिया।

बस, यहीं चूक हो गई। उसे नहीं पता था कि प्रॉपर्टी डीलर के भेष में वह भेड़िया है। उसने उन दोनों की जमा रकम तो हड़प ही ली, उन पर भी गंदी नजरें भी रखने लगा। जब भी वे पूछतीं, तो वह कहता बात चल रही है। अब इन्हें शक हो गया कि इनका पैसा डूब चुका है। रुनझुन ने उसे कहा कि वह पुलिस के पास जा रही है। बस यहीं कहानी खत्म। पटाक्षेप हुआ रुनझुन की जिंदगी का।

उसने कहा फ्लैट वाले साहब 4:00 बजे मिलना चाहते हैं, तुम पहुंच जाना, आज फाइनल हो जाएगा। दुनियादारी से नावाकिफ रुनझुन ने अपनी सहेली को बताया। सहेली उस दिन किसी कस्टमर के साथ अपॉइंटमेंट बुक कर चुकी थी, इसलिए उसने अकेले जाने का फैसला किया।

रुनझुन कभी लौटकर नहीं आई, वह कहां गई, उसका क्या हुआ, आज तक अंधेरे, गहरे रहस्य में डूबा है। पुलिस ने भी फाइल बंद कर दी है।

नहीं जानती थी रुनझुन, कि उसे हक नहीं है उड़ान भरने का। उड़ान कोई बहुत ऊंची नहीं थी, एक बोनी उड़ान ही थी तो थी। वह लड़की जो आंखों में सुनहरे सपने लिए एक अनजान शहर में अपनी पहचान बनाने आई थी, किस मोड़ पर आकर, उससे कौन सी गलती हो गई ? क्यों, उसके एक बोनी उड़ान भरने से पहले ही पंख काट दिए गए ?


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ലോഗിൻ

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