देवा चौधरी का न्याय
देवा चौधरी का न्याय
भामागढ़ रियासत के जमींदार देवा चौधरी थे।
वे अपनी न्याय प्रियता व ईमानदारी के लिए जाने जाते थे । सभी रियासत के लोग उनके पक्षपात रहित निर्णय की प्रशंसा करते नहीं थकते थे। वे दूध का दूध और पानी का पानी जैसा न्याय करते थे। अमीर हो गरीब हो अधिकारी हो नौकर न्याय सभी के साथ एक जैसा करते थे ।सभी अपराधों की सजा आन द स्पाट देवा चौधरी के प्रांगण में पंचों व जनता के बीच की जाती थी। दोनों पक्षों की सुनवाई भी जनता के समक्ष की जाती थीी। देवा चौधरी रोआवदार ( प्रभावशाली ) व्यक्तित्व के कारण बहुत ही जँचते थे।
अपराधी उनके नाम से ही खौफ खाते थे। फिर भी यदा-कदा अपराध होते ही रहते थे जिसकी उन्होंने सजायें मुकरर्र कर रखी थी। जैसे कि चोरी करने पर 20 कोढ़े , दादागिरी करने पर 50 कोढ़े , अमानत में ख्यानत करने पर 75 कोढ़े और किसी की बहिन बेटी को छेड़ने पर 100 कोढ़ों की सजा एडवांस तय कर रखी थीी। और भी अन्य अपराधों के लिए कोढ़ों की संख्या क बढ़ हुआ करती थी । एक बार देवा चौधरी के बेटा गामा ने गॉव की एक बेटी को मजाक में छेड़ दिया। मुकदमा देवा चौधरी की अदालत में पहुँचा ।
लोग कानाफूसी करने लगे कि अब देखेंगे देवा चौधरी का न्याय कैसा होता है देवा चौधरी की अदालत शुरू हुई गामा को मुलाजिमों की तरह पेश किया गया तमाम बहस और गवाहों के बाद फैसला गामा के खिलाफ सुनाया गया । सरेआम देवा चौधरी ने अपने इकलौते बेटे को 100 कोढ़े मारने की सजा सुनाई । देवा ने अपने पुत्रमोह के आगे इंसाफ को तरजीह दी।
