सूरज दादा
सूरज दादा
बच्चों आज हम तुम्हें सूरज दादा की कहानी सुनाते हैं। सूर्य भगवान पृथ्वी से कई गुना बड़े हैं वो पृथ्वी से 15 करोड़ कि.मी. दूर हैं। इसलिए हमको छोटे दिखते हैं। सूरज दादा यदि न हो तो पृथ्वी बर्फ का गोला बन जायेगी आदमी व जीव - जन्तुओं का जीवन बिल्कुल भी संभव नहीं रहेगा। सूर्य के प्रकाश से ही हम ऊर्जावान रहते हैं। प्रकाश के बिना हमारी आँखे देख नहीं सकतीं। सूरज दादा हमारे हनुमान दादा के गुरु जी है उन्होंने ही हनुमान जी को पढ़ाया है।
सूर्य के प्रकाश से ही पौधे प्रकाश संश्लेषण क्रिया करके अपना भोजन बनाते हैं। सूरज दादा के प्रकाश से ही चंदा मामा प्रकाशित होते हैं। चन्द्रमा का स्वयं का प्रकाश नहीं है। बेटा सूर्यग्रहण पर एक बार रमेश ने नंगी आँखों से ( बिना सुरक्षा उपकरण जैसे चश्मा ) आदि के सूरज दादा को देर तक देख लिया था उसकी आँखों में खराबी आ गई थी ग्रहण हो या सामान्य दिन हो हमें सूरज दादा को बहु बहु देर तक नहीं देखना चाहिए। सूरज दादा से जीवनदायी प्रकाश के साथ साथ अल्ट्रावायलेट किरणें निकलती हैं। फिर भी किसी क्षेत्र में जहाँ वो ओजोन परत कमजोर हो गई तो वो किरणें कैंसर जैसा भयंकर रोग भी पैदा करती हैं। हमें सूरज दादा की धूप पीठ तरफ से लेना चाहिए।
सूरज दादा की धूप से हमारे शरीर की विटामिन डी की कमी पूरी होती है व हड्डियाँ मजबूत बनती हैं भगवान सूरज दादा का मंदिर भारत में कोणार्क ( उड़ीसा प्रदेश ) में है सूरजदादा पूरब दिशा से निकलते दिखते हैं वह है हमारी पृथ्वी व अन्य ग्रह उनकी परिक्रमा करते रहते हैं नौकरी व धन्धे के लिए हमें ताँबे के लोटे में जल भर कर सूरजदादा को गायत्री मंत्र ॐ भूभुर्व स्वः तत्सवितुर्व वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन : प्रचोदयात्।
