Sunil Gupta teacher

Children Stories Inspirational Others

4.0  

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दीपक की महत्ता

दीपक की महत्ता

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दीपक की महत्ता बच्चों आज हम तुम्हें दीपक (दीया ) के महत्व के बारे में बतायेंगे। बच्चों हमारे समय में गाँवों में बिजली नहीं हुआ करती थी सो हम 3-4 भाई - बहन दीपक को जलाकर बीच में जलाकर गोल घेरा बनाकर पढ़ाई करने बैठते थे। घर में रात्रि में उजाले के लिए भी दियट

दीया रखने का स्थान निर्धारित था वो स्थान ऐसी जगह रहता था जहाँ घर के अधिकांश भाग में प्रकाश हो सके बच्चों तेज हवा चलने पर दिया बुझ जाया करते थे सो पढ़ाई भी नहीं हो पाती थी, घर में रात्रि में प्रकाश के लिए चूल्हा जो खाना बनाने के लिए होता था उसी अग्नि के प्रकाश से काम चलता था पुराने जमाने में चिमनी / लालटेन यही घरों में प्रकाश के साधन थे सभी लोग इन्हीं साधनों की बदौलत अपने घरों में प्रकाश का इन्तजाम किया करते थे पहले अधिकांश लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहती थी सो बड़े - बड़े महापुरुष भी जो गरीब घरानों से आते थे और शहरों में रहते थे जिनके घरों में बिजली नहीं होती थी। वे अपनी रात की पढ़ाई बिजली के खंबों की स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ा करते थे । कई बार दिया / चिमनी के लुढ़क जाने पर आग लगने के हादसे हो जाया करते थे प्राचीन काल का जीवन स्तर बहुत ही संघर्षशील था फिर भी बच्चों हम लोग किसी भी प्रकार की परिस्थिति को आत्मसात करके अपना जीवन निर्वाह करते थे ।

 शिक्षायें ( 1 ) प्राचीन उजाले के साधनों का ज्ञान।

( 2 ) संघर्ष से अनुकूलन कर निर्वाह करना।

( 3 ) किसी भी तरह हो पढ़ाई का ध्यान रखना। 


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