चुनाव
चुनाव
हताश-निराश, उच्च शिक्षित पढ़ा-लिखा बेरोज़गार बेटे ने अपने पिता से कहा-पापा ! मेरे पास इतनी सारी योग्यताएं रहते हुए भी कहीं पर नौकरी न लगना क्या मतलब रखता है?
मुझे अब नौकरी नहीं करनी है। मैं चाहता हूँ, अब मुझे आपके साथ खेती-बाड़ी में हाथ बंटाना चाहिए। मैं आपके कुछ काम आऊँ। देखिए न, जबकि एक नेता के चुनाव में इन सबकी कोई ख़ास अहमियत नहीं है। वह जैसा भी हो जनता उसे चुनने को अभिशप्त है।
पिता ने उसे दिलासा दिलाते हुए कहा-बेटा! प्रकृति का यही नियम है। सही आदमी को सही जगह पर चयनित होने के लिए सदैव ही विभिन्न योग्यताओं व निर्दिष्ट मानदण्डों पर खरा उतरना होता है, परन्तु गलत व्यक्ति के चयन में कोई ख़ास योग्यता निर्धारित नहीं होती है। तुम और योग्य बनो,अनुभव बढ़ाओ, योग्यताएं हासिल करो फिर शिकायत करना।
आज्ञाकारी पुत्र पिताजी के कथन से सहमत हो, नये सिरे से तैयारी में पुनः जुट गया।
