स्तर
स्तर
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ट्रिन... टन... ट्रिन...टन...!
कॉल बेल की आवाज घन घना उठी।
पधारिये,आइए-दरवाजा खोलते हुए मैंने आगन्तुक से सस्मित स्वरों में कहा।
वह डरता-सकपकाता ,इधर-उधर झाँकता हुआ चुपके-चुपके भीतर की ओर कदम बढ़ा रहा था।
क्यों,बहुत डरे-डरे से लग रहे हो?मैंने पूछ लिया।कहीं कुत्ता-उत्ता तो नहीं है ना?उसने मुझसे प्रतिप्रश्न किया।
नहीं-नहीं,घबराओ नहीं !हम उस " स्तर " के लोग नहीं हैं।मैंने सहजता से कह दिया।यह सुन वह राहत की साँस लेकर आराम से बैठ गया।