सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
सत्य का सदैव साथ देना चाहिए।झूठ का कदाचित, कभी भी नहीं।क्या समझे?मैंने अपनी बात का वजन बढ़ाने के लिए जोर देकर कहा।
बिलकुल नहीं, कदापि नहीं।हकीकत तो यही है कि सत्य का नहीं वरन झूठ का साथ देना चाहिए।
वास्तव में झूठ को ही साथ की आवश्यकता होती है, न कि सत्य को। सत्य तो अकेला पर्याप्त व सक्षम होता है। अकेला वह सब पर भारी पड़ता है। इसलिए उसे किसी के साथ की अपेक्षा न होती है ना होनी चाहिए भी।
तुम गलत कहते हो। उसने अविचलित भाव से यह तर्क दिया और यह तर्क सबके गले गटागट उतर भी गया क्योंकि आज भी झूठ का साथ निभाने वाले, सैकड़ों-हजारों लोग एक साथ खड़े थे और सत्य सदा की तरह पुनः एक बार"अकेला"ही पड़ गया था।