जागृति
जागृति
ग्राम प्रमुख का चुनाव होना था।गाँव में मुनादी कर दी गई थी।मीटिंग में गाँव भरके लोग एकत्र हुए।आम सहमति से किसी एक व्यक्ति को मनोनीत करने में सबने अपना हित समझा। प्रत्याशी का नाम सुझाया गया।इस नाम पर अधिकाँश सहमत थे,परन्तु सभी एकमत न हो सके।फिर क्या था-कई नाम सामने आ गए।निर्णय न हो सका। फ़ार्म भरे गये।चुनाव जरूरी हो गया।मत पड़ने लगा।गाँव विभिन्न गुटों में विभक्त हो गया था।किसी एक को विजयी होना था।वह तो हुआ ही,पर बाद में पता चला कि अब उस गांव के लोग काफी जाग्रत हो गए हैं,और प्रत्येक गुट एक दूसरे को हमेशा नीचा दिखाने का कोई अवसर नहीं खोना चाहता है।प्रत्येक अवसर की तलाश में हरेक तैनात है।
