निरपेक्षता बनाम समर्थन
निरपेक्षता बनाम समर्थन
तुम किसके समर्थन में हो?
मैं तो सत्य के पक्ष में ही हूँ।
लेकिन,सत्य है क्या?यह तो तुमको ही कहना होगा न।
हाँ,सचमुच यदि मेरे ही श्रीमुख से सत्य का उदघाटन तय होने नियत है,तब तो मैं किसी एक के पक्ष में बोलकर,दूसरे को सिरे से खारिज नहीं कर सकता,क्योंकि सत्य तो दोनों ही है और सहअस्तित्व ही अंतिम सत्य है।अस्तु मैं दोनों के पक्ष में हूँ।उसने यह रहस्योद्घाटन कर माहौल में सन्नाटा घो दिया।
