Vikram Singh

Horror

4.1  

Vikram Singh

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चुड़ैल से शादी

चुड़ैल से शादी

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यह एक सत्य और आंखों देखी घटना है। हमारा गांव गोंडा जिले में पड़ता है । यह उस समय की बात है। जब गांव में 18-19 साल की उम्र में सब लड़को की शादी हो जाती थी।

उनमें से एक मेरा मित्र रमाकांत भी है। उसकी शादी 3 साल पहले हो चुकी थी. और अब उसका गौना भी आ गया था। उसकी बीवी बहुत निडर थी।

इसको मैं निडर इसलिए बता रहा हूं कि उसकी निडरता एक दिन बहुत भारी पड़ गई थी।

3-4 सा पहले तक गांव की अधिकतर औरतें सुबह – सुबह उठकर लोटा लेकर नित्यक्रीया के लिए कोई खेत में तो कोई खुले मैदान में जाती थी।

वो भी जब गांव के पुरूष लोग सो रहे हो तब जाती थी। कुछ दिन बीत गया। तो अब रमाकांत को एक सुंदर सी बेटी हुई। बेटी अभी 8 महीने की थी। उस समय उसकी बीवी सुबह-सुबह अकेले उठकर खेत में चली गई.

और अपने सासू मां को या फिर अपनी जेठानी को भी नहीं जगाया। वह अकेले ही चली गई।

क्योंकि वह तो बहुत निडर थी। लेकिन उस समय वह ना तो हाथ में चक्कू और ना ही माचिस लिया। जिस घर को बच्चा पैदा होता है।

उसके एक साल तक उस घर की औरत को बाहर अकेले नहीं भेजा जाता।

वह भी सुबह-सुबह बिना किसी को साथ लिए। क्योंकि उस औरत पे भूत प्रेत इन लोगों का साया जल्दी पड़ता है।

लेकिन वह अकेले गई थी। तभी वहां बेल का पेड़ लगा था। उस पर एक चुड़ैल घूम रही थी। जो इसके साथ नहीं आना चाहती थी।

लेकिन फिर भी वह आ गई। जब रमाकांत की औरत खेत से आई तो लौटा फेंककर पलंग पर बैठकर गाना गाने लगी।

बगल में ही खाट पर लेटी हुई उसकी बच्ची जोर-जोर से रो रही थी। लेकिन वह तो गाने में व्यस्त थी। इसीलिए उसे सुनाई नहीं दिया।

इतना देखकर रमाकांत चिल्लाने लगा। कि बेटी को उठाओ क्या तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा है। कि वह रो रही है। फिर भी बीवी ने जवाब नहीं दिया।

तब तक रमाकांत की भाभी आ गई. और वह समझ गई कि यह कौन है? और रमाकांत को इशारा किया कि जाओ दादा जी को बुला लाओ। इतना सुनते ही रामाकांत समझ गया कि मेरी बीवी के ऊपर कोई चुड़ैल का साया है। तभी भाभी ने दादाजी का नाम लिया।

तब तो रामाकांत पलंग पर बैठ कर दादागिरी झाड़ने लगा और बोला कि तुम कौन हो? यहां पर क्यों आई हो?

क्या तुम मुझसे शादी करना चाहती हो? (तब तक गांव की कुछ औरतें और कुछ पुरुष मजा लेने के लिए इकट्ठा हो गए) चुड़ैल ने कहा कि मुझमें तुम्हें क्यों दिलचस्पी हो रही है।

क्यों मुझसे शादी करने के लिए आतुर हो।

तो रमाकांत झट से बोला कि मैं कुछ काम धंधा तो करता नहीं। लेकिन अगर तुम साथ रहोगी तो धन दौलत लाती रहोगी। चुड़ैल ने हंसकर बोला ऐसा कुछ नहीं होता।

हमारे में भी कोई ना कोई मुखिया जरूर रहता है। जो धन दौलत की रखवाली करता है। तुम चाहो तो हमारी दुनिया में चलो।

तब मैं तुम्हें सब कुछ दूंगी पर अभी नहीं क्योंकि तुम जीवित हो। रमाकांत समझ गया कि अब मेरे हाथ कुछ नहीं आने वाला है।

तो उसने बोला कि ब्राह्मण परिवार में आते हुए तुम्हें डर नही लगा। (और नीचे बैठे हुए सब लोग मजे लेते हंस रहे थे) तब तक दादाजी भी आ गए और बोला कि यहां से सब लोग हट जाओ और अपने-अपने घर जाओ।

इतने में रमाकांत की बीवी भी पलंग से नीचे उतर कर सिर पर पल्लू डाल दिया और चुड़ैल भी चली गई। तब रामाकांत मन ही मन बड़-बडाने लगा।

कि इनको भी अभी आना था। अगर थोड़ी देर बाद आते तो क्या पता मैं भी मालामाल हो जाता। बेचारा रमाकांत बहुत दुखी हो गया।


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