मां का बंटवारा
मां का बंटवारा


नंदिनी की शादी एक सुखी संपन्न परिवार में हुई थी। शादी को महज अभी 1 साल ही तो हुए थे पर यह 1 साल कैसे बीत गया उसे पता ही नहीं चला। ससुराल वालों से इतना प्यार जो मिला था उसे।सुबह कब हो जाती है और शाम कब हो जाता वो समझ ही नहीं पाती थी। उसके सास और उसके बीच का रिश्ता इतना प्यारा था कि लोग देखकर भी कहते मां बेटी का रिश्ता है या सास बहू का रिश्ता।
गलती करने पर सास उसे डांट भी देती थी पर इसका बुरा नंदनी को नहीं लगता उस पर वो सोचती थी मां होती तो वो भी तो ऐसा ही करती। दोनो एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझते थे।सास के हाथों में भी जादू था जब अपने हाथों से कभी-कभार नंदनी को खाना खिलाया करती थी,नंदनी की आंखें भर जाती थी।
एक बेटी बनकर अपनी सास की सेवा किया करती थी मन में ख्याल भी कभी ना लाती कि वो बहू है। अपने जिम्मेदारियों को अच्छे से समझती थी। नंदनी के पति रोहन दो भाई थे। बड़े भाई का नाम संजय और भाभी का नाम सुष्मिता था यू तो सुष्मिता भी सब कुछ अच्छे से करती थी पर वह स्वभाव से थोड़ी जलन सील प्रवृत्ति की थी। उसे नंदिनी का यू सासू मां के साथ घुलना मिलना बिल्कुल पसंद नहीं था। वह चाहती थी कि घर में हर तरफ सिर्फ उसकी ही बातें हो लोग सिर्फ उसकी ही तारीफ करें क्योंकि नंदिनी घर में सबसे छोटी थी तो सबका प्यार भी मिलता था।
नंदनी की सास अपने दोनों बेटों को बहुत प्यार करती थी आखिर वो बच्चों में तुल्ला कैसे कर सकती है। सुष्मिता दिन-रात अपने पति संजय को कहती रहती थी कि इस घर में अब से वह मान सम्मान नहीं मिलता। सारे लोग दिन-रात नंदिनी नंदिनी ही किया करते है। संजय उसे समझाता था कि नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तुम्हें गलतफहमी हो रही है अगर तुम्हें तकलीफ होती है तो तुम मां से जाकर बात करो।
"संजय तुम मेरी बातों को नहीं समझ रहे हो सारा दिन लोग छोटे देवर और देवरानी की ही बातें किया करते हैं जैसे मेरा तो इस घर में कोई पूछे ना हो। अब मुझे अलग रहना है मैं यहां एक पल भी नहीं रहना चाहती हू।"
" सुष्मिता तुम गलत कह रही हो एक छत में और एक घर में कभी दो चूल्हे आज तक तुम सुने हैं।यह सब हमारे यहां नहीं होता मां से बंटवारा कैसा?"
"तो ठीक है संजय तुम मां को ही बांट दो मां हम लोग के साथ रहेंगी मैं मां को करने के लिए नहीं करने के लिए नहीं कह रही हूं पर मुझे नंदनी के साथ एक पल भी नहीं रहना है।मेरी बातें बुरी लग रही है ना पर कल को देखना माँ सारी जायदाद का वारिस सिर्फ और सिर्
फ छोटे देवर और देवरानी को ही बना देंगी। हमारी हाथों में तो कुछ भी ना रहेगा तुम्हें आज मेरी बातें समझ में नहीं आ रही है ना पर कल जब ऐसा होगा तो मुझसे कुछ कहने मत आना।"
दरवाजे पर खड़ी मां ये सब कुछ सुन लेती पर वो अंदर जाकर संजय और सुष्मिता से कुछ कहती नहीं है।वो चुपचाप आंगन के झूले में जाकर बैठ जाती हैं। कुछ देर बाद संजय कमरे में से बाहर निकलता है तो देखता है मां के हाथों में चोट लगी हुई है। मां ये चोट आपको कैसे लगी? बस बेटा खिड़की लगा रही थी तो उंगली उसमें पड़ गई और लग गई चोट।
"बहुत दर्द हो रहा होगा ना मां।"
" हां बेटा यह तो शरीर का अंग है और शरीर का कोई एक अंग भी अगर दूर होने लगता है तो तकलीफ तो जरूर होती है।" पास में खड़ी सुष्मिता भी यह सब कुछ देख रही थी। आखिर एक शरीर अपने किसी भी अंग को कैसे काट सकता है। बहुत तकलीफ पहुंचती है। मैं कुछ समझा नहीं मां जब तुम दोनों मां-बाप बनोगे तो समझ जाओगे एक मां बाप के लिए अपने दो बच्चों के बीच चयन करना कितना मुश्किल होता है।
दोनों को जन्म देने में एक मां को उतने ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है एक बाप को उतने ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है एक अच्छी परवरिश के लिए फिर जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो मां-बाप को यह चुनने के लिए क्यों मजबूर कर देते हैं आप मेरे पास रहोगे या बड़े भैया के पास।
क्या बहू के मायके में उसके भाई ने ऐसी बात कहीं होती तो उसे तकलीफ ना होती? क्या बहू की मां के लिए यह सब आसान होगा कि वह बहू और उसके उसके भाई में से किसी एक संतान का चयन करे? सुष्मिता को अपनी गलती का एहसास हो गया उसे लगा कि अगर मेरी मां को भी इन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता तो कितनी उसे तकलीफ होती।
बड़ी बहू और छोटी बहू इस घर की दो बेटियां हैं। बेटियां तो पराई होकर अपनी ससुराल चली गई और ससुराल में आती है जो बहू वही कहलाती हैं बेटीया फिर तुम दोनों में अंतर कैसे कर सकती हूं ।तुम तो हमारे कूल को रोशन करने वाली हो अपने दिल और दिमाग से निकाल दो किसी एक को प्यार करती है मां अपने हर एक बच्चों को एक समान प्यार करती हैं।
सुष्मिता को अपनी गलती का एहसास हो जाता है और वह नंदिनी को एक छोटी बहन के भांति गले लगा लेती है और अपनी सास से भी वो माफी मांगती है कि आगे से कभी ऐसी सोच अपने दिल और दिमाग में नहीं लाएगी और फिर से परिवार में खुशहाली आ जाती है। सब एक घर में एक छत के नीचे एक साथ रहते हैं ।