चोरी
चोरी
सासु मां ने अंतिम समय पर अपनी तीनों बहुओं को बुलाया और कुछ गहने जो उनके पास रखे थे उनको उपहार स्वरूप दे दिए।
सबसे छोटी बहू सुनीता को उन्होंने सोने की चेन भेंट स्वरूप दी। सासू मां का कुछ दिनों बाद चली गई। सभी बहुओं ने उनके उपहार को हमेशा संभाल के रखा। सुनीता भी उनकी दी हुई चैन को हमेशा पहने रखती थी । सुनीता अपने पीहर में मां के साथ 1 दिन बाजार गई। बाजार से सुनीता व मां जब कुछ सामान लेकर आ रही थी तभी बाइक से दो लड़कों ने आकर अचानक से उसकी चैन खींची और भाग गए। सुनीता उनके पीछे दौड़ी भी पर कोई फायदा नहीं हुआ। उसने वहां के पास सीसीटीवी कैमरे में भी जांच पड़ताल करवाई फिर लोगों ने यही कहा कि यहां तो यह रोज होता है। अब आप अगर पुलिस में रिपोर्ट भी करोगे तो कोई फायदा नहीं बल्कि आपको चक्कर ही काटने पड़ेंगे।
सुनीता की मां उसके साथ ही मार्केट में थी उनको बड़ा दुख हुआ की बिटिया पीहर आई और उसकी चैन चोरी हो गई। उन्होंने सुनीता से कहा मैं दूसरे चैन बनवा दूंगी।
सुनीता ने कहा मां वो साधारण चैन नहीं थी वह मेरी सासू मां का आशीर्वाद था जिसे मैं संभाल ना सकी। अब घर जाकर क्या जवाब दूंगी। उसके मन में बहुत बड़ा बोझ हो गया।
मैं चैन को उनका आशीर्वाद समझती थी इसलिए जब से वह गई तबसे उसको पहने रहती थी । चैन तो दूसरी फिर भी बन जाती पर उससे जुड़े उनके एहसास उसको बार-बार लग रहा था कि वह चोरी हो गये है और वह घर जाकर सब को क्या जवाब देगी ।
जब उसके पति को जाकर उसने भारी मन से बताया तब उन्होंने कहा तुम इसको यह सोच कर लो कि वह चैन स्वरूप मां ने आकर तुम्हारी रक्षा की, नहीं तो तुम्हारा गला भी कट सकता था और तुम्हारा एक्सीडेंट हो सकता था। मां का आशीर्वाद अपने बच्चों पर हमेशा रहता है। उसे कोई चोरी नहीं कर सकता।
