चोर-पुलिस खेलोगी मेरे साथ ?

चोर-पुलिस खेलोगी मेरे साथ ?

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अच्छा सुनो
चोर-पुलिस खेलोगी मेरे साथ ?
क्योंकि...
अब मैं चुराना चाहता हूँ

तुम्हारी ज़िन्दगी से
कुछ लम्हों को
जो वक़्त के आगोश में
कहीं छिपे पड़े हैं |

मैं चुराना चाहता हूँ
उन रंगीन परदों को
जिनके सामने
तुम पर जच रही
हर नई साड़ी को
मैं तस्वीर बना लेता हूँ |

पायल में फंसे
घुंघरुओं को
जिनकी झंकार ही
अब मेरा संगीत है |

मैं चुराना चाहता हूँ
तुम्हारे चेहरे की चमक को
जो इस मकान को
घर-सा रोशन करती हैं |

तुम्हारे कदमो की
नर्मी को
जिसपे आलता
हौले से बिखर जाता है |

मैं चुराना चाहता हूँ
तुम्हारी लटों पे
सरकती बूंदों को
बस वैसे ही
जैसे सूरज उन्हें चूम
उड़ा ले जाता है |

मेरे जीवन के कालिक को
तुम अपना
काजल बना बैठी
मैं बदलना चाहता हूँ
उस काजल को
अपने खतों की स्याही से 

मैं चुराना चाहता हूँ
उस लाली को
जो तुम्हारे श्रृंगार्-दान में रखी है
जो तुम्हारे होंठो को चूम
खिलखिलाहट बन जाती है 

किवाड़ों पर लगी
कुंडी को
जिसे बन्द कर
तुम अपनी दुनिया में
खुल जाती हो 
मैं चुराना चाहता हूँ
तुम्हे..
तुमसे चुराना चाहता हूँ 

बोलो..
चोर-पुलिस खेलोगी 


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