चमत्कार

चमत्कार

2 mins
7.8K


दफ्तर से आकर मैं बिस्तर पर लेट गया। बहुत थका था। मन ही मन सोचने लगा "क्या जिंदगी है, घर दफ्तर हर जगह बस टेंशन ही टेंशन है" तभी मेरी नज़र मेरे कमरे की बालकनी पर बैठे बंदर पर पड़ी ' ये क्या मज़े में है। कोई फिक्र नहीं। बस दिन भर उछलते कूदते रहो। ' बंदर ने मुझे देखा और मैंने उसे। हम एक दूसरे को घूरने लगे। अचानक जैसे बिजली कौंधी। बस एक पल में सब उलट पलट हो गया। मेरी पत्नी कमरे में आई और मुझे देख कर चीख पड़ी " बंदर हट ... हट " वह बगल के कमरे से भागकर मेरे बेटे का बैट उठा लाई और मेरी तरफ लपकी। उसका रौद्र रूप देख कर मैं सहम गया। बंदर के शरीर में होने फायदा उठा कर मैं छलांग मार कर बालकनी में आ गया और वहां से दूसरे की बालकनी में कूद गया। मेरी पत्नी बंदर को डांटने लगी "आप मुंडेर पर बैठे बैठे क्या कर रहे हैं।"

मैं इधर से उधर कूदने लगा। बड़ा मज़ा आ रहा था। कहीं भी कूद कर चले जाओ, पल भर में ऊपर चढ़ जाओ फिर तेज़ी से नीचे आ जाओ। बहुत देर तक उछालने कूदने के बाद भूख लगने लगी। मैं इधर उधर खाना ढूढ़ने लगा। एक फ्लैट की खिड़की से झाँका। अंदर एक महिला बैठी टी . वी . देख रही थी। सामने प्लेट में समोसे रखे थे। मुह में पानी आ गया। सोंचा लपक कर एक उठा लूं। मैं उसकी तरफ लपका तभी उसकी नज़र मुझ पर पड़ गई। वह चिल्लाई " बचाओ बंदर " भीतर से उसका पति भाग कर आया। उसके हाथ में बेल्ट थी उसी से खींच कर मारा। सारे शरीर में जैसे करंट दौड़ गया। मैं बाहर भाग लिया। थकान, भूख और दर्द से परेशान था। कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी जोर से बारिश होने लगी। मैं सर छिपाने की जगह ढूढने लगा। चारों तरफ ऊँची ऊँची इमारते थीं। एक फ्लैट की खिड़की पर बैठ गया। भीग जाने से ठण्ड लग रही थी। मैं सोचने लगा " मेरी अपनी जिंदगी तो इससे कहीं बेहतर है। सर पर छत है और पेट भरने को खाना। ये कहाँ फँस गया मैं। "

" अजी उठिए खाना खा लीजिये " पत्नी ने आवाज़ देकर जगा दिया। "

मैं भौंचक सा इधर उधर देखने लगा। " ऐसे क्या देख रहे हैं। आते ही सो गए। चल कर खाना खा लीजिये। " कह कर वह चली गई।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama