Sajida Akram

Inspirational

2.1  

Sajida Akram

Inspirational

चिंटू

चिंटू

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चिंटू वैसे तो कई दिनों से दर-दर काम मांगने जा रहा था लेकिन लोगों को उस मासूम पर ज़रा भी तरस नहीं आया। थक- हार कर कई दिन का भूखा था, घुमते-घुमते एक झुग्गी बस्ती में पहुंच गया। एक हेंडपम्प पर रूक, सोचा पानी से ही पेट की आग शांत करुं, पानी पी कर झुग्गी की दीवार से टेक लगाकर सो गया, थोड़ी ही देर में सारिका वहाँ झुग्गी की मालकिन आई उसने दरवाजा क्या एक छोटी सी फटकी लगी थी। ठेलकर अंदर गई, वो भी कहीं से झाड़ू-पोंछा का काम करके लोटी थी।

वो जल्दी -जल्दी कुछ खाना लेकर आई थी प्लेट में डालकर उस बच्चे के पास गई और उस को जगाया। कहाँ से आया तू, यहां क्यों बैठा है अपने घर क्यों नहीं जाता ...।

वो बड़े गौर से सारिका के हाथ में खाने को ललचाई आंखों से देख रहा था, सारिका ने झट से प्लेट उसकी ओर बढ़ा दी। हाँ मैं ये तेरे लिए लाई थी, वो तो कुछ नहीं बोला खाने पर टूट पड़ा। खाना खाते देखकर कोई भी अंदाजा लग सकता था वो कई दिनों का भूखा था, उसकी आंखों से आंसुओं का सैलाब बह रहा था।

सारिका की ममता उमड पड़ी वो बोली थोड़ा और लेगा उसने गर्दन हिलाकर हाँ, वो अंदर से थोड़ा भात और ले आई ...।

जब पेट भर गया तो हेंडपम्प की ओर जाकर पानी पी आया, सारिका बड़े प्यार से उस से बात कर रही थी वो लगातार इस शहर में उसके साथ जो बर्ताव यहां के लोग कर रहें थे वो उस दर्द भरी बातों पर ....इस नए शहर में कई दिन की लोगों से काम मांगने जाने पर बड़े-बड़े बंगलों के चौकीदार बाहर से ही भगा देते, या कोई "मेडम"दिख जाती तो हिकारत से देखकर भगा देती साथ में ये भी बड़बड़ाती जाने कहाँ से आ जाते हैं, काम मांगने, फिर चोरी-चकारी कर जाएंगे।

"सारिका उस की मनोदशा समझकर उसे अपनी झोपड़ी में ले आई क्योंकि दिन ही बहुत ठंड़ा था। अब वो धीरे-धीरे अपने बारे में बताने लगा कैसे वो अपना घर छोड़ कर भाग आया है, उसका बाप शराब पी कर सौतेली माँ के कहने पर बहुत मारता था, वो जो भी कमा कर लाता पैसे भी छुड़ा लेता था।

वो सारिका के पास रहने लगा एक माँ और बेटे का रिश्ता बन गया था सारिका ने अपने काम वाले बंगलों पर उसे भी काम दिला दिया था, ये कहकर मेरा भाई का बेटा है, सारिका ने उसका नामकरण भी कर दिया"चिंटू "नाम दे दिया।

आज कुछ ज़्यादा ठंड थी। सारिका ने अलाव जलाकर दोनों माँ-बेटे बातें करतें हैं. उसी वक़्त चिंटू पूछ लेता हैं माँ तू बता अकेली क्यों रहती थी मेरे आने से पहले, वैसे तो सारिका की दुखती रग पर हाथ रख दिया था मगर सारिका ने बस इतना कहा- "मुझे तुझ जैसा बेटा देना था" ईश्वर को ...बस मैं तेरा ही इंतज़ार कर रही थी ...

"इस ख़ूबसूरत वाक्य पर चिंटू की निश्छल हंसी ..।


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