छल एक विडम्बना
छल एक विडम्बना


आज मैं ऐसे मझधार में फंसी हुई हूँ, मेरी आँखें तो सब कह रही है लेकिन कोई उन्हें पढ़ने वाला मौजूद नहीं है। ये सिलसिला उस दिन शुरू हुआ था जब मेरे पिता ने मुझे धमकी दी थी कि या तो मैं शादी के लिए हाँ कर दूँ नहीं तो वो खुदखुशी कर लेंगे क्या करती मैं, न चाहते हुए वो उस लड़के से शादी के लिए हाँ कर दी जो मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं था। ऐसा नहीं है कि कोई मेरी ज़िन्दगी में था इसलिए मै शादी नहीं करना चाहती थी। हर लड़की का एक सपना होता है अपनी शादी को लेके, मेरे भी कुछ सपने थे कुछ आशाएं थी जिनपे वो लड़का खरा नहीं उतर रहा था। इसमें मेरी क्या गलती है की मै माँगलिक हूँ और मेरी कुंडली का ये दोष मुझे 28 वर्ष की आयु तक कुंवारा रख रहा था पापा ने हर एक प्रयास किया किन्तु कही बात ही नहीं बन पा रही थी, जब कभी कोई मुझे पसंद आया तो उन्होंने ढेर सारे दहेज़ की मांग कीअपना मन मार के मैं उस लड़के के साथ शादी करने को तैयार हो गयी जो कि पापा ने चुना था। मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से मेरे पापा को कुछ हो जाये।
2 दिन भी नहीं लगे लड़के वालों ने शादी की तारीख निकलवा दी।
मुझे पता चला अगले महीने ही मेरी शादी है। घर में सब खुश थे किसी को एहसास ही नहीं था की मै अंदर ही अंदर टूट रही थी। अपने भाइयों को शादी की तैयारी में व्यस्त देखा। पापा के चेहरे पे ख़ुशी देखी तो मैं अपना गम भूल गयी। तैयारियां जोरो पर थी, हल्दी हुई, मेरे छोटे भाई ने घर के उस कोने को भी सुन्दर बना दिए जो कि कभी सुन्दर नहीं लगता था। उसको देख के मुझे बहुत ख़ुशी हुई। सभी कोशिश कर रहे थे कि मैं नृत्य सीखू ताकि ससुराल में कोई भी मेरे ऊपर उंगली न उठा सके। मैं भी उनकी ख़ुशी के लिए तैयार हो गयी। क्या करती ?सभी ने कोशिश की मुझे सिखाने की, मै अपना दुःख समेटे उसमे भी शामिल हो गयी लेकिन मेरी अंतरात्मा मुझे हर छड यही एहसास दिला रही थी की मैं अंदर से खुश नहीं हूँ। शादी वाले दिन भी मैं खुश होने का दिखावा करती रही, रात में शादी हुई और अगले दिन विदा हुई।
मैं क्या बोलति वस् आँशु सब कह रहे थे।
अपनी ससुराल में पहुच के पाया की जैसा मुझे बताया गया था की मेरे ससुराल में नौकर लगे हुए है, मेरे पति का होटल है, घर भव्य है। यह सब झूठ था, एक जाल था मेरे ही पिता ने आज मुझे ठग लिए था। पहले मेरे अरमां टूटे थे अब वो चूर चूर हो गए थे। अब कर ही क्या सकती थी?। पहले दिन ससुराल में मुझे एक कमरे में ले जाया गया विदा के बाद। मुझे ज़मीं पे बिठा दिए गया क्यूंकि पलंग पर फूफा ससुर बैठे थेहैरान थी मैं की नयी दुल्हन को ज़मीन पर बिठा दिया, मेरी छोटी बुआ सास ने मुझे अपने हाथों से नाश्ता कराया,
फिर कुछ उम्मीद जागीकी शायद ये सब अच्छे है। पूरा दिन नए रिश्तों से पहचान म
ें और सबके चरण स्पर्श करते कब गुजर गया पता ही नहीं चला। रात को जब मुझे मेरे पति के कमरे में ले जाया गया, मै चुपचाप वहाँ बैठी उनका इंतज़ार करती रही वो आये मेरे पास बैठे और हमने बातें शुरू कीमैं उम्मीद में थी कि मेरे पति मुझे अपने जीवनसाथी के रूप में पाकर खुश होंगे क्यूंकि मैं सुंदरता में किसी से कम नहीं थी।
उन्होंने मुझे बताया की वह किसी और से प्यार करते हैं और वो उसको भूल नहीं पा रहे हैं ये सुनकर मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयीमैंने फिर भी उनको समझने का प्रयास किआ तो उन्होंने बताया की वो वेश्याओं के पास भी जाते हैं। मैं हैरान थी कि मैं जो सुन रही हूँ वो सच है या मजाक? ये सब बोलने के बाद वो मेरी ओर बढे तो मैंने उन्हें रोक दिया, मैंने कहा की आप मुझे 6 महीने का समय दे ताकि मैं आपको जान सकूँ। 2 दिनों में ही मुझे उनके बारे में काफी कुछ ऐसा पता चला जिसे जानकार मैं खामोश हो गयी। चौथी की विदा में मेरे भाई मुझे घर लाये, मेरा छोटा भाई मुझे देख रहा था उसने मुझे बार बार पूछा की मैं क्या छिपा रही हूँ,
ऐसा क्या हुआ है कि मैं ऐसी हो गयी हो पर मैंने उसको कुछ न बताया। कैसे बताती आखिर भाई है वो। समय बीता और विदा की बात शुरू हुई। मे अपनी बुआ सास के यहाँ एक फंक्शन में गयी वहां सबसे मिली। फिर मौसी दादी के यहाँ गयी और उसके बाद अपनी मौसी के यहाँ। मौसी और उनकी बेटी मुझे भांप गए और उन्होंने मुझ पर दबाब बनाया और धीरे धीरे मैंने उन्हें सब बताना शुरू किया उसी समय देश भर में कोरोना की वजह से लॉक डाउन हो गया। मुझे सोचने का थोड़ा और समय मिला। मौसी ने मुझे समझा और मम्मी पापा को सब बताया। जैसा की मुझे उम्मीद थी की वो नहीं समझेंगे और हुआ भी वैसा ही।
कुछ दिन बीते फिर मेरे पति से मैं बात करती रही फ़ोन पर, मुझे उम्मीद थी कि धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा पर मैं गलत थी। मैंने देखा मैं जब भी उनको फ़ोन करती वो बात ही नहीं करते, एक दिन मैंने उनसे पूछा तो वो बोले की बात गर्लफ्रेंड से की जाती हैमैं अंदर ही अंदर मजबूर घुटती रही भाई रोज़ पूछता था अपनी कसम देता था मै उससे झूठ बोलती रही। कुछ मेरे पति ने मुझे फ़ोन की नहीं किआ फिर बेशर्म बन मैंने उनसे बात की तो फिर उन्होंने मुझे जली कटी सुनाते हुए कहा माँ चाहती कि मैं तुम्हे यहा लेके आऊंहद तो तब हुई जब दुसरे नंबर से उन्होंने कोई और बनकर मुझे अश्लील सन्देश बेहजे और जब मैंने ब्लॉक कर दिए तो बोले मैं था। वो मुझे आजमा रहे थे। मै फिर सोच रही थी की अगर आजमाना ही था तो शादी से पहले क्यों नहीं आजमाया ? आखिर क्या गलती है लड़की होना पहले पिता ने छला फिर पति नेआज भी मैं लॉक डाउन की वजह से अपनी मौसी के यहाँ हूँ। मैं वहां वापस नहीं जाना चाहती लेकिन आखिर कब तक यहाँ रह पाऊंगी ?