छायादार वृक्ष
छायादार वृक्ष
गर्मियों के दिन थे। वह लड़की दोपहर की चिलचिलाती धूप में चली आ रही थी कालेज से घर की ओर। लड़का आज उसे लेने नहीं आया। उसे लगा, वह दुनिया में बिल्कुल अकेली है। एकदम अकेली, उस लड़की की तरह जिसका दुनिया में कोई न हो। वह निराश होकर बैठ गई सड़क के किनारे खड़े छायादार वृक्ष की छांव में। उसे पेड़ के नीचे थोड़ा-सा आराम मिला।
उसे उस दिन अहसास हुआ कि जीवन में छायादार वृक्ष का होना कितना जरूरी है।