Shailaja Bhattad

Inspirational

5.0  

Shailaja Bhattad

Inspirational

देर आए दुरुस्त आए

देर आए दुरुस्त आए

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सुनीता अपने मोहल्ले में रोज किसी न किसी के मच्छर जनित बीमारी से ग्रसित होते किसी की मृत्यु हो जाना जैसी खबरें सुन- सुन कर घबरा-सी गई थी। आज फिर मोहल्ले में सुबह-सुबह जब रोने की आवाज आई तो सुनीता दौड़कर बाहर आई देखा किसी के घर में डेंगू के कारण मृत्यु हो गई है।

त्योहार भी इतने जल्दी-जल्दी नहीं आते जितनी बीमारियाँ हर एक दिन छोड़कर आ रही थी। बारिश का मौसम और मोहल्ले में कूड़ा करकट, गंदगी की भरमार। मोहल्ला जहां खत्म होता और मुख्य सड़क शुरू होती वहां तो लोगों ने कचरे का पहाड़ ही खड़ा कर रखा था और बचा खुचा कचरा सड़क पर भी फैला हुआ था।

अपार्टमेंट में चारों ओर गंदगी, बदबू यानी सीधे-सीधे सुनीता के मोहल्ले में विभिन्न प्रजातियों के मच्छरों को खुला आमंत्रण। कोई इतनी गंदगी में कैसे रह सकता है। कहने को तो सभी पढ़े लिखे थे।

मोहल्ले में जिनके कदम कभी कार से नीचे नहीं उतरते, जो घर को चमचमाता रखते हैं। फिर घर से बाहर आते ही पूरे विपरीत कैसे हो सकते हैं। यानी दुनिया से कोई वास्ता नहीं। थोड़ा रुक कर एक बार भी नहीं सोचा कि घर के बाहर ही बच्चे खेलते हैं। बाहर ही वह संसार है जहां ज्यादा समय बीतता है। बच्चे खुले में खेलते हैं। घर के बुजुर्ग सुबह-शाम वॉक करते हैं। और तो और घर में प्रवेश करने के लिए भी बाहर से ही अंदर आना पड़ता है। फिर बाहर की गंदगी को दूर करने का एक क्षण भी ख्याल नहीं आया।आज कोई और तो कल वह खुद। फिर यह शानो शौकत तो धरी की धरी ही रह जाएगी ना !

सुनीता के लिए बहुत मुश्किल था कि, इतना कुछ होता रहे और वह कुछ ना करें। कुछ सहेलियों की मदद से उसने नगरपालिका में फोन करके सबसे पहले मोहल्ले का पूरा कचरा ले जाने के लिए अनुरोध किया। फिर सारी कामवाली बाइयों की मदद से उसके अपार्टमेंट के लोगों के साथ मिलकर खुद के अपार्टमेंट को चमकाया। लेकिन सरिता जानती थी कि, यह पर्याप्त नहीं है। अगर सबको स्वस्थ और खुशहाल बनाना है। जिंदगी को जिंदगी बनाना है तो पूरे मोहल्ले को चमकाना होगा। शाम को सभी अपार्टमेंट के चेयरमैन को उसके अपार्टमेंट के सभी लोगों ने सुनीता के कहने पर आमंत्रित किया।

और उन्हें अपना अपार्टमेंट दिखाते हुए अनुरोध किया कि, अगर सबको सही सलामत रहना है तो कुछ अच्छे कदम उठाने होंगे। सबकी सहमति मिली और देखते ही देखते पूरा मोहल्ला चमचमाने लगा। लेकिन गंदगी फैलाना जिनकी आदत में हो उसे बदलने में कुछ कड़े नियम भी लगाने पड़ते हैं। आए दिन लोग कूड़ा करकट सड़क पर फेंक ही रहे थे। कोई ऊपर से सीधे  नीचे फेंक रहा था। न कोई शर्म न दूसरों का कोई लिहाज। एक बार फिर सभी चेयरमैन की मीटिंग बुलाई गई और सर्वसम्मति से कुछ नियम बनाकर मोहल्ले के विभिन्न अपार्टमेंट्स के नोटिस बोर्ड पर लगाए गए। घर-घर में पर्चे बँटवाए गए। आखिरकार एकजुट काम करने के सकारात्मक परिणाम आए और सब का चैन भी वापस आया।


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