चाय
चाय
माँ एक कप चाय मिलेगी सर बहुत भारी लग रहा है। रवि ने घर में प्रवेश करते हुए, अपनी माँ से कहा। माँ बोली चाय तो बन ही रही है।
पर तू पहले ये तो बता तेरा आज का इंटरव्यू कैसा रहा। होना क्या है माँ वही हर बार की तरह लिखित परीक्षा में पास और साक्षात्कार में फेल।
ना जाने और कितनी बार असफलता झेलना बाकी है इस जीवन में, वो उदास स्वर में बोला। पर बेटा, माँ कुछ और कह पाती उसके पहले ही वो उसे टोकते हुए बोला।
देखो माँ खुशबू से लगता है, शायद चाय तैयार हो चुकी है। उसकी बात सुन माँ बोली, हाँ बेटा पर जब तक दो चार उबाल न आ जाए, चाय बेहतर स्वाद नहीं देती।
आज माँ की बात सुन उसे भी ऐसा लगा, मानो ये जिंदगी भी बिल्कुल चाय की ही तरह है। जब तक संघर्ष की आंच पर तपकर कुछ उबाल ना ले, तब तक इसका भी बेहतर स्वाद नहीं आता।
