चाय पकौड़े की साजिश
चाय पकौड़े की साजिश
एक तरफ एफ एम पे बजता हुआ गाना, “हमें जब से मोहब्बत हो गयी है, ये दुनिया…. दूसरी तरफ रिमझिम बूंदें सोचिए दिल को ठंडक पहुंचाता हुआ कितना खुशगवार मौसम पर जाने क्यों मेरा मन चिढ़ा हुआ था, शायद इस चिढ़ की वजह सुबह से हमसफर के साथ रोमांटिक सॉन्ग के साथ जो लोंग ड्राइव और पिज्जा हट के ख्वाब देख रही थी उसका अचानक से पति देव की तरफ से चाय – पकौड़े की फरमाइश में बदल जाना था।
खौलते तेल में पकौड़े डालने के साथ साथ दिमाग भी खौल रहा था। क्या हाऊस वाइफ को खुशगवार मौसम का लुत्फ उठाने का हक नहीं उनकी जिंदगी गर्मी में दिन भर नींबू शिकंजी बनाते, बारिश में पकौड़े तलते, और ठंड में दिन भर लोगों को कॉफी का प्याला पकड़ाते बीत जाती है। सब सोचते हुए आँख से दो बूँद आँसू का छलक जाना कोई बड़ी बात नहीं। हम हाऊसवाइफ के लिए ये हमारी आँखों को साफ करने का टॉनिक होता है।
पकौड़े तले जा चुके थे, पर दिल बहुत बुरी तरह जला हुआ था। ऐसा लग रहा था कि ये आलू, गोभी, प्याज, बैंगन मजाक उड़ा रहे हों कि हमारे बिना तुम्हारी जिन्दगी कहाँ चलने वाली है! पर अफसोस ये कि गुस्से में होने के बावजूद मैं प्लेट फेंक नहीं सकती थी। बड़े करीने से सजा कर टेबल पर रखना पड़ा, वापस जाने के लिए मुड़ी तो सुनायी पड़ा चाय की प्याली? मन किया पूछूं, डूबा दूँ उसमें आपको ?
पर हम ऐसा कर कहाँ पाते हैं! चाय की प्याली पकड़ा के जैसे जाने लगी कि सुनायी दिया जा कहाँ रही हो? साथ बैठ के चाय पीयो न, हम्म जैसे और कोई काम तो है नहीं हमें।
फिर भी बैठ गयी साथ में और पकौड़े का प्लेट इनकी तरफ बढ़ाया, इन्होंने झट से पकौड़े अपने हाथ में लेकर मेरे मुँह में खिला दिया ये बोलते हुए कि मेहनत तुम्हारी तो पहला हक भी तुम्हारा ये तो साथ बैठने का एक बहाना था। और लॉन्ग ड्राइव में तुम्हें बाँहों में कहाँ भर पाता ऐसे प्यारे मौसम में, और अचानक गुस्से से लाल हुए चेहरे में गालों पे शर्म की लाली छा गई, भाप उड़ाती चाय के साथ सारा गुबार भी उड़ गया और अब एफ एम पे बजता हुआ गाना” ये बारिश का पानी मुझे ले के डूबा” के साथ हमें करीब लाने के लिए इन चाय पकौड़े की साजिश मुझे बहुत अच्छी लग रही थी।