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Kumar Vikrant

Comedy Drama

3  

Kumar Vikrant

Comedy Drama

चार फुटिया

चार फुटिया

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"अबे नंगा-पुंगा कहाँ घूम रहा है तू?" झम्मन लाल ने गुलफाम नगर की उजाड़ सड़क पर घूमते उस चार फुट के उस अजीब से इंसान की और आश्चर्य से देखते हुए कहा।

उस चार फुटिये ने आंखे फाड़ कर पाँच फ़ीट और डेढ़ कुंतल के फुटबाल जैसे गोल-मटोल झम्मन लाल की तरफ देखा।

"आँख फाड़ कर क्या देख रहा है? भेजा खराब हो गया तो एक झापड़ मारकर तेरी आँखें बा हर निकाल दूँगा।" झम्मन लाल ने उस चार फुटिये पर अपना रोब दिखाते हुए कहा।

वो चार फुटिया झम्मन लाल की धमकी से बिलकुल भी प्रभावित न हुआ बल्कि उसने झम्मन लाल की मोटी तोंद पर हाथ फिरा कर देखा, झम्मन लाल के उबड़-खाबड़ चेहरे को छू कर देखा और अंत में उसने अपना पूरा हाथ झम्मन लाल के मुंह में घूसा दिया और बुरी तरह हिलने लगा।

उस चार फुटिये की इस सारी हरकत में सिर्फ कुछ सेकेण्ड लगे लेकिन इतनी ही देर में उसने झम्मन लाल की हालत खराब कर दी। चार फुटिये का हाथ मूँह से निकलते ही झम्मन लाल रोते हुए बोला, "अबे कौन है तू, ये पागलों वाली हरकत क्यों की तूने.....जान निकाल कर रख दी.......अबे पागल खाने से भाग कर आया है क्या?"

"चुप बे मोटे भैंसे, मैंने तेरी जुबान सीखने के लिए तेरे हलक में हाथ डाला था, देख अब मैं तेरी जुबान सीख गया हूँ।" उस चार फुटिये ने गुर्राकर कहा।

"कौन है बे तू? मेरी जुबान में ऐसी क्या बात है जो तूने मेरी जुबान सीखने के लिए मेरे गले की बैंड बजा कर रख दी।" झम्मन लाल अपनी गर्दन सहलाता हुआ बोला।

"अबे गैंडे मैं तेरे इस अजीबोगरीब ग्रह का नहीं हूँ; गलती से यहाँ आ फंसा हूँ, मेरे शिप की कांटेक्ट की को तेरे जैसा एक लफंगा छीन कर भाग गया है, अब मुझे अपने ग्रह जाने के लिए उस कांटेक्ट की जरूरत है। इस काम के लिए मुझे तेरी जुबान सीखनी पड़ी, अब मुझे तेरे कपड़ों की भी जरूरत है, चल उतार इन कपड़ों को नहीं तो मैं खुद ही तेरे कपड़े उतार लूँगा......." उस चार फुटिये ने फिर से गुर्राकर कहा।

झम्मन लाल अब तक समझ चुका था कि वो वो चार फुटिया कोई एलियन था, उससे टकराना मुसीबत को दावत ही देना था इसलिए उसने अपनी पैंट और शर्ट को उतार कर उस उस चार फुटिये के हवाले कर दिया।

कुछ ही देर में वो चार फुटिया झम्मन लाल के तम्बू जैसे कपड़े पहन चुका था। तभी वहाँ से एक हाथी गुजरा, हाथी के सिर पर एक महावत बैठा उसे हाँक रहा था। उस चार फुटिये ने बड़ी गौर से हाथी और उसके सिर पर बैठे महावत की तरफ देखा और फिर नंग धडंग झम्मन लाल की तरफ देखा। कुछ सोचकर उस चार फुटिये ने झम्मन लाल को लात मारकर उठाया और उसके कंधों पर जा चढ़ा और गुर्राकर बोला, "चल बे आज से तू मेरी सवारी है, चल ढूंढते है उस कांटेक्ट की के चोर को।"

डरा हुआ झम्मन लाल अब उस चार फुटिये के इशारो पर नाच रहा था, कुछ सोचकर वो कलपते हुए बोला, "अबे उस्ताद तू मेरे गले क्यों पड़ रहा है? जा उस हाथी पर ही सवारी कर ले।"

"चुपचाप चलता रह नहीं तो आज तुझे हाथी से गधा बना दूँगा, वैसे तू है कौन?" वो चार फुटिया गुर्राकर बोला।

"अबे मैं गुलफाम नगर का झम्मन लाल हूँ, लेकिन तू कौन है?" झम्मन लाल से सड़क पर फुटबाल की तरह लुढ़कते हुए पूछा।

"मैं तेरा उस्ताद हूँ नाम है पी के, और कुछ पूछना है या दूँ एक लात खींच कर?" वो चार फुटिया गुर्राकर बोला।

"कुछ नहीं पूछना मेरे बाप......." कह कर झम्मन लाल उस चार फुटिये को लेकर आगे बढ़ गया।


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